भारतीय वायुसेना बाय ग्लोबल, मेक इन इंडिया रूट अपनाने की दिशा में बढ़ रही
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भारतीय वायुसेना बाय ग्लोबल, मेक इन इंडिया रूट अपनाने की दिशा में बढ़ रही




भारतीय वायुसेना बाय ग्लोबल, मेक इन इंडिया रूट अपनाने की दिशा में बढ़ रही 

नई दिल्ली । देश के सामने मौजूद खतरों से निपटने के लिए अपनी क्षमता को बढ़ाने में जुटी भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्रॉफ्ट हासिल करने के लिए बाय ग्लोबल, मेक इन इंडिया रूट’ को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसके तहत देश के भीतर ही 114 जेट फाइटर विमानों के निर्माण की दिशा में संभावित सप्लायर कंपनियों से बातचीत की जा रही है। इनमें से ज्यादातर कंपनियों ने इसके लिए रजामंदी जाहिर की है। 
सूत्रों के मुताबिक स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस और 5वीं पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान परियोजना पर पहले से ही काम चल रहा है। फिर भी उत्तरी और पश्चिमी दोनों विरोधियों पर बढ़त बनाए रखने के लिए भारतीय वायु सेना को 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्रॉफ्ट की भी जरूरत हैं। इसके लिए एयरफोर्स ने ‘बाय ग्लोबल, मेक इन इंडिया’ की पहल को अपनाने का फैसला किया है। इन विमानों के सौदे को हासिल करने की कतार में लगी ज्यादातर वेंडर कंपनियां भी इसे पसंद कर रही हैं। 
इस मल्टी रोल फाइटर एयरक्रॉफ्ट सौदे की दौड़ में तीन अमेरिकी विमान, एफ-18, एफ-15, और एफ-21 (एफ-16 का संशोधित संस्करण), रूसी मिग-35 और सुखोई एसयू-35 के साथ-साथ फ्रेंच राफेल, स्वीडेन का ग्रिपेन और यूरोफाइटर टाइफून शामिल हैं। भारतीय वायु सेना ने खरीद प्रक्रिया पर इन कंपनियों के विचार भी मांगे थे। उसमें से अधिकांश ने केवल ‘ग्लोबल मेक इन इंडिया रास्ते के लिए प्राथमिकता दिखाई है। सूत्रों ने कहा कि अब एयरफोर्स ने इस परियोजना पर सरकार से निर्देश मांगा है।
गौरतलब है कि राफेल लड़ाकू विमान के 35 विमान पहले ही फ्रांस से आ चुके हैं,वहीं डिलीवरी के लिए केवल एक विमान बचा है। राफेल लड़ाकू विमान के दो स्क्वाड्रन से एयरफोर्स को निश्चित रूप से ताकत मिलेगी। फिर भी वायुसेना को और ज्यादा लड़ाकू विमानों की जरूरत है, क्योंकि दोनों स्क्वाड्रन केवल आपातकालीन जरूरतों को ही पूरा कर सकती है। इसलिए एयरफोर्स ने 114 लड़ाकू विमानों को खरीदने का फैसला किया है। जिससे वायुसेना के पुराने पड़ चुके मिग-21, मिग-23 और मिग-27 लड़ाकू विमानों को हटाया जा सके।



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