मंदिर हनुमान बाग की भूमि से व्यक्ति विशेष के कब्जे को लेकर लोग हुए लामबंद , अतिक्रमण हटाने की मांग ने जोर पकड़ा । एसडीएम को पुनः ज्ञापन दिया गया ।
नया बस स्टैंड स्थित हनुमान बाग मंदिर की खसरा नंबर 683, 685 वर्तमान में मप्र शासन कलेक्टर रायसेन के स्वामित्व में होकर मंदिर की अन्य भूमि 696 हनुमान जी नजूल के नाम दर्ज है।
वर्ष 1983 में मंदिर के स्व. पुजारी शंकरलाल ने भूमि अपनी बताकर कलेक्टर का नाम निरस्त करने
का दावा लगाया था।
प्रकरण क्रमांक 121ए /83 मे व्यवहार न्यायालय वर्ग - एक ने दिनांक 4-7.03 को निर्णय पारित कर भूमि सार्वजनिक मंदिर की पाकर दावा निरस्त कर दिया था।
इसी तरह अपील न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश ओंकार नाथ ने भी अपील 10ए/03 में निर्णय दिनांक 9-1-07 को पारित करते हुए भूमि को सार्वजनिक संपत्ति मानी है।
स्व . शंकरलाल के पुत्र गण कैलाश शर्मा एवं भगवानदास शर्मा द्वारा राजस्व न्यायालयों में कई अपील नामांतरण की कराई गई थी किन्तु माननीय राजस्व मंडल ने निर्णय दिनांक
3-10-19 को यह भूमि मध्यप्रदेश शासन की सार्वजनिक मान्य की है।
बाद में कैलाश, ए्ंव भगवानदास द्वारा सिविल न्यायालय की अंतिम निष्कर्ष की यह बात छुपाकर असत्य रूप से मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर में एक याचिका प्रस्तुत की है जिसमें स्वत्व संबंधी कोई विवाद व्यवहार वाद में नहीं है। ऐसा दर्शाया है जबकि व्यवहार न्यायालय द्वारा कैलाश, भगवानदास बगैरा का स्वत्व नहीं माना गया है ।
उच्च न्यायालय में उन्होंने गलत जानकारी दी है और नगरपालिका को पक्षकार भी नहीं बनाया है ।
साथ ही व्यवहार न्यायालय ने कैलाश व भगवान दास
बगैरह के रजिस्टर हुकूक के दस्तावेज स्वत्व का आधार नहीं माने है।
स्वयं इनके स्वर्गीय पिता ने अन्य प्रकरण में न्यायालय में यह भूमि सार्वजनिक बताई है ।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हाल में मध्यप्रदेश राज्य विरुद्ध पुजारी की अपील क्र.4850/2021 मे यह सिद्धान्त प्रतिपादित यह है कि जब मंदिर सार्वजनिक संपत्ति है , तो पुजारी की प्रतिष्ठि का कोई अधिकार नहीं होता । इसलिए सरकारी भूमि पर नाजायज अधिकार बताना गलत है ।
हनुमान मंदिर एवं उसकी भूमि बचाने के लिए नागरिक अब लामबंद हो गए हैं , जिसको लेकरसैकड़ों नागरिकों ने पूर्व में के बार एवं अभी पुनः एसडीएम को ज्ञापन देकर शासन -प्रशासन से उपरोक्त अतिक्रमण हटाए जाने की मांग की है ।
फोटो - सार्वजनिक हित की सरकारी भूमि का अतिक्रमण ।
14.1.22
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