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बीडब्लूएफ विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर जीतने के बाद किदांबी श्रीकांत ने कहा है कि वो अपना दूसरा गेम खत्म नहीं कर सके।
इस मैच का दूसरा गेम जीतने पर श्रीकांत के पास तीसरा गेम जीतकर स्वर्ण पदक अपने नाम करने का मौका रहता।
भारत के स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत ने कहा है कि वो बीडब्लूएफ विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में अपना दूसरा गेम खत्म नहीं कर सके।
इस मैच में श्रीकांत को सिंगापुर के लोह कीन येव ने 21-15, 22-
20 से हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। वहीं श्रीकांत के सिल्वर मेडल के साथ संतोष करना पड़ा।
वो पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी हैं, जिन्होंने इस टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल जीता है।
श्रीकांत ने बताया कि उन्हें इस मैच में कई मौके मिले, लेकिन वो इनका फायदा नहीं उठा सके।
43 मिनट तक चले इस मैच में लोह कीन ने श्रीकांत को सीधे सेटों में मात दी।
हालांकि दूसरे सेट में श्रीकांत ने उन्हें कड़ी टक्कर दी और मैच 22-20 पर जाकर खत्म हुआ।
मैं मैच खत्म नहीं कर पाया- श्रीकांत
श्रीकांत ने लोह कीन की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने दबाव बनाए रखा और इसी वजह से उन्हें जीत मिली। बीडब्लूएफ से बातचीत में उन्होंने कहा "दोनों गेम में मेरे पार मौके थे, पहले गेम में मेरे पास अच्छी बढ़त थी। कुल मिलाकर कहूं तो मैं मैच खत्म नहीं कर पाया, लेकिन उन्होंने बहुत खेल दिखाया। कई बार ऐसी चीजें होती हैं। मैंने मैच में बने रहने की कोशिश की और दूसरे गेम में यह काम भी आया।"
लोह कीन सिंगापुर के पहले पुरुष खिलाड़ी हैं, जिन्होंने इस टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता है।
श्रीकांत और लोह कीन इससे पहले 2018 में भिड़े थे और उस समय भारतीय खिलाड़ी ने सीधे सेटों में जीत दर्ज की थी।
उस मैच को याद करते हुए श्रीकांत ने कहा कि लोह कीन ने अपने खेल का स्तर बेहतर किया है।
उन्होंने कहा "पिछली बार मैं चार साल पहले उनके खिलाफ खेला था। इसे काफी समय हो चुका है।
एक खिलाड़ी के रूप में वो परिपक्व हुए हैं और उन्होंने काफी बेहतर खेल दिखाया।"
बढ़त के बावजूद हारे श्रीकांत
फाइनल मैच में श्रीकांत ने पहले 9-3 की बढ़त ले ली थी और पहले गेम में उनकी जीत लगभग तय लग रही थी।
हालांकि सिंगापुर के खिलाड़ी ने बाद में शानदार वापसी करते हुए यह मैच 21-15 से जीत लिया।
अब फाइनल जीतने के लिए श्रीकांत को दूसरा गेम हर हाल में जीतना था और उन्होंने इसके लिए काफी संघर्ष भी किया, लेकिन लोह कीन ने 22-20 से जीत दर्ज कर स्वर्ण अपने नाम कर लिया।
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