रायपुर। समर्थन मूल्य पर चना गेंहूं की सरकारी खरीदी करने, किसान पेंशन योजना लागू करने और रमन काल के बचे 2 साल का बोनस देने के वादों की याद दिलाएंगे। केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों का आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है बल्कि युद्ध विराम जैसी स्थिति है।
प्रदेश के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक में निर्णय
केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी सहित अन्य मांगों को पूरे करने के वायदे करने के बाद दिल्ली की सीमाओं से किसानों के कैंप हटाने का यह मतलब नहीं है कि किसानों का आंदोलन समाप्त हो गया है अभी युद्ध विराम जैसी स्थिति है 15 जनवरी को समीक्षा होगी और यदि सरकार ने वायदा खिलाफी करने का प्रयास किया तब सरकार के खिलाफ मोर्चा फिर से खोला जा सकता है।
बदली हुई परिस्थितियों में प्रदेश के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की रायपुर के कलेक्टरेट गार्डन में बैठक हुई। जिसमें शामिल प्रतिनिधि का यह मानना था कि तीन कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक चले आंदोलन में व्यस्तता के कारण प्रदेश में कांग्रेस द्वारा विधानसभा चुनाव के समय किसानों के हित में किए गये वादे 3 साल में भी पूरे नहीं किए जाने के वादा खिलाफी पर आवाज बुलंद करने के अवसर नहीं मिल पाया था।
अभी 15 जनवरी तक किसानों के पास राज्य के मुद्दों पर संघर्ष करने का अवसर है, किसान प्रतिनिधियों का कहना था कि कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में सरकार बनने पर समर्थन मूल्य पर चना गेंहूं आदि उपजों की सरकारी खरीदी करनें, रमन काल के बचे 2 साल का बोनस देने और किसानों के लिये पेंशन योजना लागू करने का वादा किया था, जिसे सरकार बनने के 3 साल बाद भी लागू नहीं किया गया है। बघेल सरकार के चुनावी वादों की याद दिलाने के लिए 8 जनवरी को रायपुर में धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है।
बैठक में छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से जनकलाल ठाकुर, पारसनाथ साहू, तेजराम साहू विद्रोही, जुगनू चंद्राकर, सौरा यादव छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन से राजकुमार गुप्त, कल़्याण सिंह ठाकुर के अलावा गौतम बंद्योपाध्याय, यूएस ओझा सहित अन्य किसान प्रतिनिधि शामिल थे।
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