भोपाल । चार साल में एक मर्तबा होने वाली वन्यप्राणियों की गिनती अगले साल करवाई जाएगी। जनवरी 2022 की गणना कुछ ज्यादा खास है, क्योंकि जंगल में मिलने वाले जानवरों से जुड़ी जानकारियां आनलाइन भेजना है। अब टाइगर-लेपर्ड स्टेट का दर्जा हासिल कर चुका मध्य प्रदेश आनलाइन गणना के लिए पूरी तरह तैयार है। बाघ-तेंदुए सहित अन्य जंगली जानवरों के जंगल में मौजूदगी से जुड़े प्रमाण इक_ा कर तस्वीरों की रूप में अब मोबाइल एप्लीकेशन से अपलोड किए जाएंगे। ये डाटा सीधे इंस्टिट्यूट आफ वाइल्डलाइफ तक पहुंचेगा। इस काम को लेकर अब वनकर्मियों की ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है।
2018 के बाद जनवरी 2022 में वन्यप्राणियों की गणना देशभर में करवाई जाएगी। पहली मर्तबा गणना को कागजों की बजाए आनलाइन मोड में किया जाएगा। देहरादून संस्थान ने गणना के लिए विशेष एप्लीकेशन बनाया है। बाघ-तेंदुए सहित अन्य वन्यप्राणियों के पंजों के निशान, विष्ठा, जमीन-पेेंड पर खरोंच, पेड़ों पर छोड़ी गई गंध जानकारी को इक_ा कर भेजना है। मास्टर ट्रेनर बने वनकर्मियों को इंदौर वनमंडल के बाकी कर्मचारियों को ट्रेनिंग देना है। यह काम सितंबर से दिसंबर के बीच किया जाएगा।
बढ़ी वन्यप्राणियों की संख्या
2018 में इंस्टिट्यूट आफ वाइल्डलाइफ देहरादून ने गणना करवाई थी। देशभर में 2967 बाघ और 12852 तेंदुए होना सामने आया था। अकेले मध्य प्रदेश के जंगलों में 526 बाघ और 3421 तेंदुओं की मौजूदगी मिली है। बिगकैट प्रजातियों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए संरक्षण भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
आकंड़े आए सटीक
आनलाइन गणना पिछली बार से शुरू होना थी, लेकिन कई लोगों ने आनलाइन से जुड़ी कई समस्याएं बताई थी। वनक्षेत्र में इंटरनेट की खराब स्थिति, मोबाइल व एप्लीकेशन चलाने में वनकर्मियों को दिक्कतें, खराब तस्वीरें जैसे कारण सामने आए थे। मगर इस बार आनलाइन गणना पर जोर दिया जा रहा है ताकि आंकड़ों में गड़बड़ी की आशंका कम हो सके। वहीं अधिकारी ये तर्क देते है कि आंकड़े सटीक और जल्दी मिल सके। जबकि गणना करने का सही समय सुबह 5 से 8 बजे के बीच रहता है। कई बार वनकर्मी तय समय के बाद जंगल पहुंचते है। इनसे बचने के लिए विभाग आनलाइन गणना का रूख कर रहा है। ऐसे में तस्वीरें व अन्य जानकारी अपलोड करते समय स्थान व समय खुद ब खुद मोबाइल एप्लीकेशन में आ जाएगा।
ये है प्रदेश में बाघ की स्थिति
2006 : 300
2010 : 257
2014 : 308
2018 : 526
तेंदुओं की स्थिति
मध्य प्रदेश : 3421
कर्नाटक : 1783
महाराष्ट्र: 1690
तमिलनाडु : 868
छत्तीसगढ़ : 852
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