भोपाल । प्रदेश के पुलिस थानों में पदस्थ सिपाहियों का रुतबा बढऩे वाला है। अब तक सिपाही, एएसआई, एसआई या फिर थाना प्रभारी के पीछे डंडा लेकर चला करते थे, लेकिन अब इनको ग्रामीण क्षेत्रों में बीट का प्रभार दिया जाएगा। यानी गांवों की कानून व्यवस्था का जिम्मा सिपाहियों के कंधों पर रखा जा रहा है। पुलिस बीट सिस्टम में बदलाव के इस नवाचार का प्रायोगिक उपयोग चंबल संभाग से शुरू होगा। चंबल रेंज के प्रभारी आईजी सचिन अतुलकर की पहल पर मुरैना के अलावा भिंड, श्योपुर और दतिया जिले में इस नई व्यवस्था की शुरुआत 28 अगस्त से हो रही है।
मप्र पुलिस के नियम-कायदों के अनुसार थानों में बनी बीटों की जिम्मेदारी अभी तक उप निरीक्षक (एसआई), सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) और प्रधान आरक्षक (हेड कास्टेबल) के पास ही रहती आई है। थानों में एसआई, एएसआई व प्रधान आरक्षक की संख्या कम होती है, इसीलिए उनके बाद कई बीटों का प्रभार रहता है। क्षमता से अधिक बीटों का प्रभार रहने से एसआई, एएसआई व प्रधान आरक्षक अपनी बीटों में कानून व्यवस्था सही से नहीं चला पा रहे। इस समस्या को दूर करने के लिए चंबल रेंज के प्रभारी आइजी सचिन अतुलकर ने मप्र पुलिस की गाइडलाइन में बदलाव करते हुए चेंबल रेंज के चारों जिलों में बीट का प्रभारी सिपाहियों को बनाया जा रहा है। इसके तहत थाना क्षेत्रों के गांवों में बीट का प्रभारी सिपाही को दिया जाएगा। यह कवायद शहरी क्षेत्र में भी होगी और शहर-कस्बों की अतिरिक्त बीटों का प्रभार सिपाहियों को दिया जाएगा।
कोई घटना हुई तो मांगा जाएगा जवाब
बीट की जिम्मेदारी तेज तर्रार हवलदार और सिपाही को सौंपी जाएगी। बताया गया है कि जिनके पास यह जिम्मेदारी रहेगी, उन्हें अपने क्षेत्र के संभ्रांत लोगों के साथ अपराधिक प्रवृत्ति वालों लोगों, जिलाबदर का पूरा रिकॉर्ड रखना होगा। अगर कोई अपराधी जेल से सजा काटकर या फिर जमानत पर आता है, तो उसकी पूरी जानकारी रखनी होगी। यही नहीं, बीट में कितनी जनसंख्या है, कितना किस तरह का अपराध बीट में होता हैं। कितने अपराधी सक्रिय हैं ये सब रिकार्ड सिपाही को रखना होगा। इसके बाद भी यदि कोई घटना होती तो बीट की जिम्मेदारी संभालने वाले सिपाही से भी पुलिस के अफसर इसका जवाब मांगा जाएगा। यानी जिम्मेदारी बढऩे के साथ ही सिपाहियों पर कार्रवाईयों की गाज गिरने की संभावनाएं भी पहले से ज्यादा बढ़ गई हैं।
गांवों में कानून व्यवस्था सुधरेगी
आरक्षक को उसी की बाइक से हर दिन अपनी बीट के गांव में जाना होगा। इससे संवेदनशील गांवों में कानून व्यवस्था सुधरेगी। आरक्षक को एफआईआर दर्ज तक करने के अधिकार दिए जाएंगे। थाने के एएसआई या एसआई की निगरानी में सिपाही अपने थाना क्षेत्र में हुए अपराध का मामला दर्ज करेगा। इस प्रयोग से सिपाहिया की पूछ-परख बढ़ेगी और ग्रामीण इलाकों में पुलिस का नेटवर्क और मजबूत होगा, क्योंकि एसआई या थाना प्रभारी के मुकाबले सिपाही ज्यादातर समय मैदान में रहता है और अधिक लोगों के संपर्क साधता है।
इनका कहना है
थानों में सिपाहियों की संख्या अधिक रहती है इसीलिए, पुलिस बीट सिस्टम में बदलाव का नवाचार किया जा रहा है, जो 28 अगस्त से मुरैना सहित चंबल रेंज के चारों जिलों में लागू हो रहा है। चारों जिलों के एसपी ने इसे लेकर तैयारी कर ली है। यह प्रयोग पूरे प्रदेश में बसे पहले चंबल संभाग में हो रहा है, उम्मीद है इससे कानून व्यवस्था व पुलिस का नेटवर्क मजबूत होगा, अपराधों पर भी अंकुश लगेगा।
सचिन अतुलकर
प्रभारी आईजी, चंबल रेंज
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