शास्त्रों की बात , जानें धर्म के साथ जैसे कि सब जानते हैं कि भारत देश में जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में देश भर के तमाम मंदिरों आदि को सजाया जाता है तथा श्री कृष्ण के जन्म के समय यानी रात्रि 12:00 बजे तक लोग उनके नाम का जागरण करते हैं तथा श्री कृष्ण और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं। खासतौर पर आराधना की जाती है। कुल मिलाकर कहा जाए तो हिंदू धर्म में यह और वह बहुत ही ज्यादा महत्व रखता है इस दिन लोग व्रत करते हैं पूरा दिन फलाहार करते हैं और आज 12:00 बजे के बाद भगवान के जन्म के बाद ही पारण करते हैं।

मगर इनमें से कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि व्रत का पारण करने वाले व्रत रखने वाले लोगों को किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए दरअसल धार्मिक मान्यता है कि इस पूरा दिन तो जरूर ग्रहण करने की छूट होती है परंतु सूर्यास्त के बाद श्री कृष्ण भगवान के जन्म के समय तक ग्रहण करना वर्जित होता है परंतु बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं तो आइए आपको बताते हैं जन्माष्टमी के दिन व्रत के कुछ खास नियम आदि।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें, साफ, शुद्ध या नए वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प करें।

पूरा दिन फलाहार जिला हर कर सकते हैं। ध्यान रहे इस दौरान केवल सात्विक रहे और शाम को पूजा से पहले एक बार फिर से स्नान जरूर करें।

रात्रि 12:00 बजे के बाद यानि भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपरांत बाल गोपाल की धातु की प्रतिमा को पात्र में रखें।

अब कान्हा जी की प्रतिमा को सबसे पहलीे दूध, दही, शहद, शर्करा और घी से स्नान करवाएं।

पंचामृत स्नान के बाद गंगाजल से बाल गोपाल की मूर्ति को स्नान करवाएं इसके बाद इन्हें पितांबर पुष्प और प्रसाद अर्पित करें। ध्यान रखें इन्हें अर्पित की जाने वाली सभी चीजों में डालकर ही अर्पित करें।

इसके अलावा पूजा करने वाले व्यक्ति को इस बात का भी खास खयाल रखना चाहिए कि इस दिन काले या सफेद रंग के वस्त्र धैरण न करें।