सपनों के घर का ब्रोशर दिखाकर बिल्डर नें थमा दी मुसीबतें,
कृष्णा पंडित मंडीदीप। रहवासियों का साफ़ कहना है कि ब्राउजर में बड़े बड़े सपने दिखाकर बिल्डर नें उन्हें छल लिया है एक बेहतर जिंदगी की उम्मीद में बस्ती छोड़कर कालोनी में लाखों रुपये खर्च कर मकान खरीदे थे परन्तु यहाँ की स्थिति नर्क से भी बदतर है कवर्ड केम्पस कालोनी में बाउंड्रीवाल नहीं होने से जंगली जानवर घुस आते हैं नियमित सफाई के आभाव में सीवेज ड्रेनेज लाइने चौक पड़ी हैं सीवेज का पानी खाली पड़े प्लाटों में भर रहा है कई जगह तो बदबू के मारे घरों में रहना दूभर हो गया है | वहीँ पूरी कालोनी में चार साल पूरे होने के बाद भी इलेक्ट्रिफिकेशन पूर्ण नहीं हुआ है कालोनी के हर एक घर के छतों से बिजली के खुले तार गुजर रहे है जिनसे दुर्घटनाये घटने और जनहानि की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता | में रहने वाले केएस अहिरवार ने बताया कि उनके घर के आगे नाली के ऊपर बिल्डर के कर्मचारियों नें मलबे का इतना बड़ा ढेर लगा दिया है की नाली का पानी आगे जा ही नहीं पाता इस रुके गंदे पानी में पैदा होने वाले जहरीले जीव जंतु कीटाणु और बदबू नें मोहल्ले को नर्क बना दिया है का कहना हैं कि हमने अपने खरे पसीने की कमाई मुसीबतें भोगने के लिए खर्च नहीं की बिल्डर को तत्काल हमारी मांगें पूरा करनी चाहिए |
रहवासियों की प्रमुख मांगें
रहवासियों ने कंपनी प्रमुख के सामने प्रमुख रूप से पूरी कालोनी को कवर्ड करने मेन गेट पर सक्षम सुरक्षाकर्मी तैनात करने इलेक्ट्रिफिकेशन कम्पलीट कर एमपीईबी के मीटर घरों में लगवाने सीवेज ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने चौबीस घंटे पानी उपलब्ध कराने स्वीमिंग पूल बनवाने कामन हाल बनवाने की मांग रखी |
निजी बिल्डरों और नपा के बीच कई कालोनियां अटकी हुई हैं। बिल्डरों ने अभी तक इन्हें नपा को हस्तांतरित नहीं किया है। इस कारण इनके रहासी बिजली,पानी सफाई समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। रहवसी जब इनकी शिकायतें लेकर बिल्डर के पास जाते हैं तो इन्हें नपा में शिकायत करने का हवाला दिया जता है। जब रहवासी नपा जाते हैं तो अधिकारी कहते हैं कि बिल्डरों ने अभी तक उन्हें कालोनी नहीं सांपी हैं। इसलिए वे कुछ नहीं कर सकते। ऐसे में नपा और जिला प्रशासन की अनदेखी की सजा आम लोग भुगत रहे हैं।
नपा और बिल्डरों की तालमेल नहीं होने से वार्ड एक और २३ की आएक दर्जन से अधिक कालोनियों के रहवासी बिना सुविधाओं के रहने को मजबूर हैं। स्ट्रीट लाईटें बंद हैं पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है। ससफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। पानी के लिए बोरिंग के भरोसे हैं। इन दिनों बारिस में हालात बद से बदतर हैं। इन कालोनियों बने सालों बीत गए,मगर बिल्डरें अधीन हैं।
क्या कहते हैं रहवासी
कालोनी में गंदगी के अंबार लगे हैं। स्ट्रीट लाईट भी नहीं हैं। नपा और बिल्डर से शिकायत के बाद भी
कुछ कालोनियों हस्तांतरण के आवेदन मिले हैं। इंजीनियर्स को जल्द सर्वे करने के निर्देश दिए हैं।सर्वेे के आधार पर खर्च किए जाने वाली राशि मिलते ही इनका हस्तांतरण कर लिया जाएगा।
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