संस्कृति के बिना संस्कारों का निर्माण सम्भव नहीं- राष्ट्रसंत श्री कमलमुनिजी
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संस्कृति के बिना संस्कारों का निर्माण सम्भव नहीं- राष्ट्रसंत श्री कमलमुनिजी


 
 
मंदसौर। संस्कृति के साथ सौतेला व्यवहार करना साक्षात परमात्मा और धर्म का अपमान करने के समान है। संस्कृति के बिना तीन लोक की संपत्ति भी संस्कारों का निर्माण नहीं कर सकती है। यह विचार राष्ट्र संत श्री कमलमुनि कमलेश ने जैन दिवाकर प्रवचन हाल में व्यक्त किए।संत श्री ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति का गुलाम बनकर धर्म की बातें करना अपनी आत्मा के साथ छलावा और धोखा करना है। पाश्चात्य संस्कृति का हमला आतंकवाद से की अनंत गुना ज्यादा खतरनाक है। ये हमारी युवा पीढ़ी को खोखला कर रहा है।
मुनि श्री कमलेश ने कहा कि सुसंस्कार सर्वोपरि धन है।इसी के माध्यम से मानव में चरित्र निर्माण हो सकता है।महापुरुष बनना संभव हो सकता है।

 संतश्री ने कहा कि चरित्र के बिना धन,वैभव, संपत्ति,सब मिट्टी के समान है। संस्कार के द्वारा वर्तमान का निर्माण होता है और अगले जन्म का सुधार भी होता है।
 राष्ट्रसंत श्री ने स्पष्ट कहा कि आध्यात्मिक संस्कृति का विकास ऋषि-मुनियों के आध्यात्मिक ज्ञान के सहारे हुआ है, जो विज्ञान की कसौटी पर शत-प्रतिशत खरा उतर रहा है।हमें विश्व गुरु बनने का सौभाग्य मिला है। जिसको स्वाभिमान और गौरव नही उसकी साधना आत्म कल्याण में सहयोगी नहीं बन सकती है।

  - महावीर जन्मोत्सव मनाया
भगवान महावीर का जन्मोत्सव मनाया गया। इस पावन प्रसंग पर राष्ट्र संत श्रीकमलमुनि कमलेश ने धर्मसभा में केश लोचन किया। अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री अभय सुराणा रतलाम जिला अध्यक्ष शेखर नाहर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
स्थानक में तपस्वी अक्षत मुनि जी के 27 उपवास, सोनल बहन के 33, अशोक नलवाया के 11 उपवास की तपस्या चल रही है। जबकि तेला पचोला उपवास एकासना सहित बड़ी  संख्या में तपस्या चल रही है। कौशल मुनि जी ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया। गौतम मुनि जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।




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