प्रयागराज - संगम नगरी प्रयागराज में शंखनाद,घंटे घड़ियाल बजाकर करते है गंगा मईया जी का स्वागत।
बाढ़ के पानी और उसके द्वारा मचाए जाने वाली तबाही के मंज़र के बारे में सोचकर ही लोगो का मन भय से सिहर उठता है,लोग बाढ़ के पानी का नाम सुनते ही कांपने लगते हैं।
अगर किसी गांवों और मोहल्लों में बाढ़ का पानी घुस आता है तो लोग ऐसी परिस्थितियों से दूर रहने के लिए ईश्वर से कामना करते हैं,मगर एक ऐसा शहर है जहां के लोग बाढ़ आने का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते हैंयही नहीं जब बाढ़ का पानी वहां के मंदिर में प्रवेश करता है लोग खुशी मनाते हुवे घंटा घड़ियाल बजाकर खुशियां मनाते हैं।जी हां हम बात कर रहे हैं संगम नगरी प्रयागराज की जहां दुनिया का अनोखा एक ऐसा मंदिर है,जहां पर लोगों को बाढ़ आने का इंतज़ार रहता हैं।इतना ही नहीं संगम नगरी के इस मंदिर में बाढ़ का पानी घुसने पर शंखनाद और घंटे-घड़ियाल बजाकर बाढ़ के पानी का स्वागत किया जाता है और इस नजारे को देखने के लिए संगम नगरी के लोग मंदिर के पुजारियों के साथ बकायदा ताली बजाकर मां गंगा का जयकारा लगाकर उनके मंदिर में आगमन का भरपूर स्वागत करते हैं।
संगम नगरी का ये अनोखा मंदिर संगम तट पर लेटे हुए हनुमान जी के नाम से विश्व विख्यात है
जहां पर कुंभ हो या अर्ध कुंभ के साथ प्रतिवर्ष माघ मास में लगने वाला माघ मेला जब संगम क्षेत्र के विशाल रेतीली भूमि पर लगता है
तब अपने आप ये नगरी तंबुओं की अनोखी नगरी के नाम से बस जाती है। जहां माघ मेला लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में लगता है तो कुंभ मेला और महाकुंभ भी इसके लगभग दुगने क्षेत्र के दायरे में लगता है। वहीं संगमतट से लगा हुआ लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर विश्व विख्यात है।संगम तट पर लगने वाला कुंभ-अर्धकुंभ और माघ मेला में देश और पूरे विश्व से पहुंचने वाले श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाने के बाद यहां के मंदिर में आकर लेटे हुए हनुमान जी का दर्शन जरूर करते हैं। मगर बारिस के समय यहां जब मां गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती का जलस्तर तेजी से बढ़ता है तो मेला लगने वाला पूरा क्षेत्र बाढ़ के पानी में समा जाता है। दूसरी ओर हर साल लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर में मां गंगा का पानी आने का पुजारी और संगम नगरी के लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं और जब मंदिर के द्वार पर मां गंगा का पानी पहुंचता है तब उसके स्वागत के लिए मंदिर के पुजारी के साथ संगम नगरी के लोग जयघोष के नारे लगाते हुवे गंगा मईया का स्वागत करने पहुंच जाते हैं फिर घंटेऔर घड़ियाल से होता है मां गंगा के पानी का स्वागत और
मंदिर में मां गंगा के प्रवेश करते ही उनके शिष्यों और पुजारियों द्वारा गंगा की आरती का मंत्रों के उच्चारण से मां गंगा का स्वागत किया जाता है और फिर बजते है घंटा और घड़ियाल और फिर चढ़ाया जाता है हनुमान मंदिर के गर्भगृह के द्वार पर पुष्प माला, दूध, दही, मधु, मिष्ठान ।इसके कुछ ही समय में के पश्चात मां गंगा लेटे हुए हनुमान मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर जाती हैऔर फिर बजरंग बली की लेटी हुई प्रतिमा का गंगा जल से अभिषेक किया जाता है।पूजा पाठ के बीच ही देखते ही देखते बजरंगी बली को मां गंगा पूरी तरह से अपने आगोश में ले लेती हैं फिर धीरे धीरे पूरा मंदिर परिसर जलमग्न हो जाता है। बजरंग बली के बाढ़ में डूब जाने के बाद मंदिर में ऊंचे स्थान पर स्थापित बजरंग बली के विग्रह की विशेष पूजा आरती तब तक होती है जब तक बाढ़ का पानी उतर नही जाता। बंधवा के बजरंबली के नाम से विख्यात इस हनुमान मंदिर के प्रमुख महंत बलबीर गिरी के मुताबिक मां गंगा खुद बड़े हनुमान जी को स्नान कराने आती हैं और माना जाता है कि जिस साल मां गंगा बजरंगबली को स्नान कराती है, वो साल शुभ होता है और देश से तमाम तरह की विपत्तियां और महामारी दूर होती है और पूरे विश्व में शांति बनी रहती है।वहीं संगम के तट पर लेटे हुए हनुमान मंदिर के पीछे मान्यता है कि लंका विजय के बाद हनुमान जी का शरीर जीर्ण शीर्ण हो गया था।जिसके बाद सीता जी ने उन्हें यहां विश्राम के लिए भेजा था और इसी वजह से यहां बजरंग बली शयन मुद्रा यानी लेटे हुई मुद्रा में हैं। वहीं कुछ लोगो का ये भी कहना ही की ये विशालकाय मूर्ति किसी सेठ के द्वारा नाव से ले जाई जा रही थी जो इतनी वजनदार थी की यहीं रह गई इसे जितनी बार मूर्ति को उठाने की कोशिश की जाती उनका प्रयास विफल हो जाता और ये अपने वजन के चलते और नीचे बालू में धंस जाती थी ये देख लोगो ने इसी मुद्रा में इन्हे वहीं पर स्थापित कर दिया था तब से ये यहीं पर स्थापित हैं।मान्यताएं कोई भी हों मगर ये तो तय है कि इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से कुछ भी मांगता है उसकी मुरादें बंधवा के बजरंगबली जरूर पूरी करते है।। जहां पर आज भी देश विदेश से संगम नगरी में आने वाले आस्थावानो की भारी भीड़ उनके अनोखे स्वरूप का दर्शन करने के लिए उमड़ पड़ती है,काफी प्रसिद्धि और लेटे हुए दक्षिण मुखी स्वरूप के कारण हनुमान जी में भक्तों की अटूट आस्था है।
प्रयागराज से सुधीर सिन्हा की खास रिपोर्ट ।
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