अनुशासन की आधारशिला पर ही धर्म की मंजिल खड़ी की जा सकती है- राष्ट्रसंत श्री कमलमुनि जी
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अनुशासन की आधारशिला पर ही धर्म की मंजिल खड़ी की जा सकती है- राष्ट्रसंत श्री कमलमुनि जी


 

 मंदसौर। अनुशासन की आधारशिला पर ही धर्म की मंजिल को खड़ा किया जा सकता है। यें साधना में ऑक्सीजन की तरह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अनुशासनहीनता अपने आप में अधर्म पाप और पतन का कारण है। इससे अमृत जैसी की गई साधना भी जहर में परिवर्तित हो जाती है। उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने जैन दिवाकर प्रवचन हाल में तपस्वी श्री सत्यनारायण के 8 उपवास की तपस्या पूर्ण होने पर आयोजित अभिनंदन समारोह में व्यक्त किए।
      मुनि श्री कमलेश ने कहा कि विश्व के सभी धर्म और महापुरुषों ने आत्मानुशासन को सर्वोपरि धर्म बताया है। अनुशासन में ही मोक्ष का निवास है। अनुशासन के बिना कोई भी उन्नति के शिखर पर नहीं पहुंच सकता है।अनुशासनकर्ता के प्रति जिस में कृतज्ञ भाव होते हैं वही महान बन सकता है।
  राष्ट्र संत श्री ने कहा कि अनुशासन करता जिसको अखरता है गुलामी का एहसास करता है कांटे की भांति चुभता है उसका साक्षात परमात्मा भी भला नहीं कर सकते है। अनुशासन प्रिय आत्मा को देव शक्ति भी नमन करती है।
धर्मसभा में संघ की ओर से अध्यक्ष अनिल संचेती महिला मंडल, बहू मंडल ने भी तपस्वी का सम्मान किया। चौबीसी का आयोजन अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली महिला शाखा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती संगीता चिपड़ चित्तौड़गढ़ की ओर से आयोजित की गई। संचालन अजीत खटोड़ ने किया। 

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