ब्लाइंड केस में पुलिस की मददगार रही लूसी की बीमारी के चलते मौत हो गई। उसकी मौत से पुलिस महकमा दुखी है। कई मामलों में उसने मौके पर अपराधी पकड़कर दिए, तो कई में पुलिस को महत्वपूर्ण सुराग देकर अपराधियों तक पहुंचाने का रास्ता दिखाया। 8 साल की सर्विस में लूसी ने करीब 250 केस सॉल्व करने में पुलिस की मदद की। जर्मन शेफर्ड ब्रीड की लूसी का रियल नेम क्यूनी था। उसे प्यार से लूसी बुलाते थे। हैदराबाद से साल 2013 में लूसी और यूली उर्फ रानी को खरीदा गया। तब उनकी उम्र तीन से चार महीने की थी। लूसी की मौत के बाद रानी अनमनी है और कुछ खा नहीं रही है।
खरीदे जाने के बाद बाद दोनों को मध्यप्रदेश के टेकनपुर के राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र में नौ महीने की ट्रेनिंग दी गई। खासकर मानव गंध का प्रशिक्षण दिया गया। साल 2014 से दोनों पुलिस के सिपाही थे। 31 मई को लूसी की तबीयत बिगड़ गई। उसे डॉक्टर को दिखाया गया। ग्लूकोज चढ़ाया गया, लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ। अगले दिन फिर हैंडलर यशपाल सिंह और शिवजीत सिंह यादव उसे डॉक्टर के पास ले गए। फिर से बोतल चढ़ाई गई, लेकिन वह बच नहीं पाई। वह 9 साल की थी। वैसे इस ब्रीड के डॉग की उम्र 15 साल होती है। पोस्टमार्टम में उसकी मौत गैस्टिक प्रॉब्लम से होना बताया गया है। लूसी की मौत के बाद सम्मान से उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
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