भोपाल
जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल में रिश्तेदारों को ही मोटी तनख्वाह पर रखा
हर साल एक करोड़ रुपये वेतन पर खर्च करने का आरोप.
भोपाल । जवाहर लाल नेहरू कैंसर अस्पताल में रिश्तेदारों को ही मोटी तनख्वाह पर नौकरी में रखा गया है। चार- पांच लोगों का एक साल का वेतन एक करोड़ रुपये से अधिक है। इस आशय की शिकायत अस्पताल के पूर्व निदेशक मेजर जनरल (रिटायर्ड ) टीपीएस रावत ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों (ईओडब्ल्यू) में की है। शिकायत में उन्होंने मय सबूत आर्थिक अनियमितताओं के कई आरोप लगाए हैं। शिकायत करने वाले मेजर जनरल (रिटा.)टीपीएस रावत पूर्व सीडीएस स्व. विपिन रावत के चचेरे भाई हैं। चार दिन पहले की गई शिकायत में उन्होंने लिखा है कि अस्पताल में कर्मचारियों की नियुक्ति में भी गड़बड़ी की गई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कई फर्जी नाम से कांट्रैक्ट पर कर्मचारी रखे गए हैं और उनका वेतन गबन कर लिया गया है। रावत ने शिकायत में बताया है कि दवाई की दुकान से लेकर भवन निर्माण तक हर कार्य में पैसा बनाया जा रहा है। सीईओ दिव्या पाराशर द्वारा परिसर में ही 80 लाख रुपये की लागत से अपने लिए मकान बनाया जा रहा था। कर्मचारियों की आपत्ति के बाद निर्माण कार्य बंद कर दिया गया है। शिकायत में कहा गया है कि अस्पताल में हर साल 40 से 50 करोड़ रुपये की दवाएं इस्तेमाल होती हैं। यह दवाएं अभी तक फार्मा कंपनी जवाहर मेडिकोज द्वारा उपलब्ध कराई जाती थीं। हाल में एक कंपनी अवांट कैंसर सपोर्ट फाउंडेशन बनाई गई है। इसका काम सीईओ दिव्या पाराशर और उनका बेटा धनंजय पाराशर देखते हैं, लेकिन इनका नाम कहीं भी इस्तेमाल नहीं होता। सभी दवाएं इसी कंपनी से खरीदी जा रही हैं। इसके लिए फर्जी ईमेल का उपयोग किया जा रहा है। इस कंपनी की पिछले चार महीने में 15 करोड़ रुपये की दवाओ के भुगतान में भी या फिर बताई जाती है
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