अदालतों में मौत की सजा देने की प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट बनाएगा गाइडलाइंस

नई दिल्ली । किसे फांसी हो और किसे न हो इसके लिए देशभर की अदालतों में मौत की सजा देने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को लेकर देश का सर्वोच्च न्यायालय जल्द ही गाइडलाइंस बनाएगा। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस दिशा में कार्यवाही शुरू कर दी है। अदालत ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से इस मामले में सहायता करने के लिए कहा है। नेशनल लीगल सर्विसेज से भी जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 10 मई को होगी। समाचार के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के इरफान उर्फ भैय्यू मेवाती की एक याचिका पर विचार करते हुए ये निर्णय लिया। इरफान को नाबालिग से रेप के आरोप में निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर हाईकोर्ट की भी मुहर लग चुकी है। इरफान ने इस आदेश के खिलाफ अपील कर रखी है। उसी पर सुनवाई के दौरान इरफान के वकील ने एक अर्जी दाखिल करके मिटिगेशन इनवेस्टिगेटर को जेल में उससे मुलाकात करने और उसके बचाव में सूचनाएं जुटाने की इजाजत देने का निर्देश देने की गुहार लगाई

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