कोलकाता । पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार और राजभवन के बीच तकरार कोई नई बात नहीं है लेकिन अब सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद व देश के जाने-माने पूर्व फुटबालर रहे प्रसून बनर्जी ने रविवार को राज्य के संवैधानिक प्रमुख यानी राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए उन्हें शैतान तक बता दिया है। यही नहीं हावड़ा से सांसद बनर्जी ने राज्यपाल को अपने संसदीय क्षेत्र हावड़ा में नहीं घुसने देने की भी धमकी दी है। उन्होंने साथ ही चेतावनी दी है कि यदि एक महीने के भीतर धनखड़ को बंगाल के राज्यपाल पद से नहीं हटाया जाता है तो वह बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे।
बनर्जी ने कहा कि वे अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ राजभवन के बाहर धरने पर बैठने से लेकर ट्रेन का चक्का तक जाम कर देंगे। सड़क पर उतर कर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। हावड़ा नगर निगम से बाली नगर पालिका को अलग करने संबंधित विधानसभा से पारित बिल को राज्यपाल द्वारा लंबित रखे जाने से चुनाव में हो रही देरी के खिलाफ टीएमसी जय हिंद वाहिनी की ओर से हावड़ा के दासनगर में आयोजित विरोध सभा को बनर्जी संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने धनखड़ पर करारा हमला बोलते हुए यह भी कहा कि वे राज्यपाल के नाम पर कलंक हैं। वह भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं और बहुत बड़ा बदमाश व शैतान हैं। उनका नाम तक लेने में मुझे शर्म आती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्यपाल यदि आगे हावड़ा में कहीं आते हैं तो वह उन्हें घुसने नहीं देंगे और खुद आंदोलन का नेतृत्व करेंगे। बनर्जी यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि देश में ऐसे राज्यपाल की कोई जरूरत नहीं है। इस पद को खत्म किया जाना चाहिए। तृणमूल सांसद ने राज्यपाल की इस बात की भी कड़ी आलोचना की जिसमें सात मार्च को रात दो बजे से विधानसभा का बजट सत्र उन्होंने बुलाया है। बनर्जी ने कहा कि कैबिनेट के नोट में गलती से दो पीएम की जगह दो एम टाइप हो गया था। इस गलती को नजरअंदाज करने की बजाय राज्यपाल ने जानबूझकर राज्य सरकार को नीचा दिखाने के लिए रात्रि दो बजे से ही विधानसभा का सत्र बुला लिया है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से राज्यपाल लगातार काम कर रहे हैं बंगाल के लोग व इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।


दूसरी ओर, राज्यपाल धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला जारी रखते हुए कहा है कि वह कानून को अपनी मुट्ठी में लेकर चलती हैं। एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बात करते हुए राज्यपाल ने कहा कि संविधान में कानून सबके लिए बराबर है, लेकिन बंगाल की माननीय मुख्यमंत्री इसे नहीं मानती हैं। वह कानून को अपनी मुट्ठी में लेकर चलती है। उन्होंने राज्य सरकार व तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर लगातार उनका (राज्यपाल का) अपमान करने और असंवैधानिक कार्य करने का आरोप लगाया। राज्यपाल ने विधानसभा का सत्र रात्रि दो बजे से बुलाने के फैसले पर भी जवाब देते हुए कहा कि यह उनका नहीं बल्कि राज्य कैबिनेट का फैसला है।
उन्होंने वही किया है जो कैबिनेट द्वारा सिफारिश की गई थी। उन्होंने सवाल किया कि उस कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री समेत राज्य के 70 मंत्री व चार वरिष्ठ आइएएस अधिकारी मौजूद थे। इसके बावजूद दो पीएम की बजाय दो एमएम कैसे हो गया? किसी की नजर इस पर क्यों नहीं गई। राज्यपाल ने साफ कहा कि इस गलती को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यदि वह इसे नजरअंदाज करते तो यह संवैधानिक रूप से सही नहीं होता। इसीलिए कैबिनेट की सिफारिश को मानते हुए वे रात्रि दो बजे से विधानसभा का सत्र बुलाने को बाध्य हुए हैं।