खरगोन 12 फरवरी 2022। शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत वनस्पतिश्शास्त्र विभाग द्वारा प्रार्चाय डॉ. डीडी महाजन संरक्षण,डॉ. शैल जोशी एवं आईक्यूएसी डॉ. वंदना बर्वे के मागदर्शन मेें गाजर घास उन्मूलन विषय पर शनिवार को व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. सीएल डुलकर के ने गाजर घास उन्मूलन विषय पर बताया कि गाजर घास का वैज्ञानिक नाम पारथेनियम हिस्टोफोरस है इसे सफेद टोपी के नाम से भी जाना जाता है। यह एस्टीरेसी कूल का पौधा है। भारत में इसका प्रवेश 1960 में मेक्सिका (द.अ.) से गेहूँ के साथ गाजर घास के सूक्ष्म बीज भी आए। इस घास को फूल आने के पूर्व ही खत्म कर देना चाहिए ताकि ये सूक्ष्म बीज और न फैले क्योंकि इसका एक सूक्ष्म बीज 50 हजार पौधों को जन्म दे सकता है। यह घास अत्यंत तेजी से फैलती है। इसे छूने से गंभीर बिमारियॉं तथा त्वचा संबंधी रोगों को भी उत्पन्न करती है। अतिथि का स्वागत प्रो. एमएम केशरे द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. गिरीश शिव द्वारा एवं आभार प्रो. बीएस सोलंकी ने माना। इस व्याख्यान में वनस्पतिशास्त्र विभाग के प्राध्यापक,रसायन शास्त्र से प्रो. कैलाश चौहान,डॉ. वैशाली मोरे,डॉ. मनोज भागर्व और महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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