पर्यटन को लेकर लोकसभा में मुखर हुए सांसद ढालसिंह बिसेन डोंगरगांव गुप्तेश्वर महादेव, कव्हरगढ सहित अन्य पर्यटन स्थल के उत्थान को लेकर उठाये मामले
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पर्यटन को लेकर लोकसभा में मुखर हुए सांसद ढालसिंह बिसेन डोंगरगांव गुप्तेश्वर महादेव, कव्हरगढ सहित अन्य पर्यटन स्थल के उत्थान को लेकर उठाये मामले


बालाघाट। सतपुड़ा की घनी वादियों से घिरे बालाघाट जिले में पर्यटन और प्राचीन दार्शनिक स्थलो के उत्थान की अपार संभावना है। इन्ही संभावनाओ को भांपते हुए बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र के सांसद ढालसिंह बिसेन के द्वारा ७ फरवरी को दिल्ली लोकसभा सदन में स्पीकर के सामने बालाघाट-सिवनी क्षेत्र में पर्यटन को लेकर मुद्दा उठाये जिसमें प्रमुख रूप से लांजी क्षेत्र के अन्र्तगत डोंगरगांव गुप्तेश्वर महादेव धाम में भूमिगत गुप्तेश्वर महादेव को पर्यटन स्थल बनाने समेत लालबर्रा कव्हरगढ़, रमरमा झरना सहित अन्य दार्शनिक पर्यटन स्थलो का उत्थान कर यहां रोजगार की संभावना बढ़ाने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकल के वोकल करने के सपने को सार्थक करने की बात रखी। साथ ही उन्होने वन विभाग अनुमति मिलने की बात पर भी जोर दिये।
                     गौरतलब हो कि बालाघाट-सिवनी क्षेत्र के लगभग सभी विधानसभा क्षेत्र में दार्शनिक और पर्यटन क्षेत्र के उत्थान और यहां रोजगार के अवसर बनाने के उद्देश्य से विगत दिनो सांसद ढालसिंह बिसेन के द्वारा डोंगरगांव गुप्तेश्वर महादेव धाम पर जाकर यहां गुफा में हैरत अंगेज यात्रा कुछ दूर तक की थी जहां स्थित माता जगदम्बे का दर्शन लाभ लेकर आर्शिवाद भी लिये थे साथ ही गुप्तेश्वर महादेव तक जाने के लिए भूमिगत पत्थरो की तंग सुरंगो से होते हुए रोमांचकारी रास्ते का अवलोकन भी किये थे जहां उन्होने ईको पर्यटन के तहत उक्त स्थल के विकास की बात रखी थी। इसके अलावा सांसद श्री बिसेन कटंगी क्षेत्र के रमरमा और लालबर्रा क्षेत्र के कव्हरगढ़ सहित अन्य स्थानो में जाकर इन स्थलो क विकास की बात कही थी, अपनी बातो पर अटल रहते हुए सासंद श्री बिसेन के द्वारा ७ फरवरी को लोकसभा में अपने संसदीय क्षेत्र में डोंगरगांव पहाड़ी गुप्तेश्वर महादेव धाम के अलावा सभी विधानसभा क्षेत्र में ईको पर्यटन की संभावनाओ की बात रखी जिसमें कहा कि कोरोना काल के चलते पर्यटन का कार्य प्रभावित हुआ था जिसके चलते रोजगार की संभावनाओ को देखते हुए यहां पर्यटन के क्षेत्र में कार्य किया जाना आवश्यक है। ताकि इन पर्यटनो के माध्यम से अन्य रोजगार के अवसर पैदा हो सके। लेकिन वन क्षेत्र होने के कारण वन विभाग से यहां पर्यटन के लिए या अन्य निर्माण कार्य के लिए अनुमति नही मिल पा रही है इसलिए वन विभाग की अनुमति मिल सके साथ ही संस्कृति विभाग के माध्यम से इन क्षेत्रो में उत्थान के लिए प्रावधान सुनिश्चित करे और इन्हे जनता के लिए तैयारी के साथ खोला जाये।  






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