रोगी कल्याण समिति में लाखों की राजस्व वसूली के लिए आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में हुई शिकायत सीएमएचओ और सिविल सर्जन पर निजी कॉलेज संचालको के साथ सांठगांठ का आरोप
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रोगी कल्याण समिति में लाखों की राजस्व वसूली के लिए आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में हुई शिकायत सीएमएचओ और सिविल सर्जन पर निजी कॉलेज संचालको के साथ सांठगांठ का आरोप

मन्दसौर । जिला चिकित्सालय की रोगी कल्याण समिति के माध्यम से निजी नर्सिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों को क्लीनिकल प्रशिक्षण दिया जाता है । जिसके एवज में प्रतिछात्र 20 हजार रुपए की राशि रोगी कल्याण समिति में जमा करवाना आवश्यक होती है । किंतु मन्दसौर में संचालित निजी कालेज श्रीजी इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग कॉलेज एवं पशुपति कॉलेज ऑफ नर्सिंग के संचालको द्वारा विद्यार्थियों से पूरा शुल्क वसूलने के बावजूद वर्ष 2018-19 से आज दिवस तक रोगी कल्याण समिति में क्लीनिकल प्रशिक्षण फीस जमा नही करवाई गई । इस बकाया राशि की वसूली के लिए कई बार रोगी कल्याण समिति के सचिव सह सिविल सर्जन के दोनों संस्थाओं को पत्र भी लिखे किंतु आज तक संस्थाओं ने लाखों की बकाया राशि जमा नही की । इस राशि की वसूली के लिए पत्रकार नरेंद्र कुमार धनोतिया ने राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के महानिदेशक अजय शर्मा के समक्ष शिकायत प्रस्तुत कर जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ. केएल राठौर, सिविल सर्जन डॉ.डीके शर्मा और कॉलेज संचालक दीपक पिता राधेश्याम सैनी व नवीन पिता भवँरलाल रतलिया के विरूद्ध शिकायत दर्ज करवाई ।
शिकायत में उल्लेख है कि प्रतिवर्ष 20 हजार प्रति छात्र के मान से निजी कॉलेजों को रोगी कल्याण समिति में राशि जमा करवानी थी किंतु दोनों कॉलेजों की मिलाकर करीब बावन लाख अस्सी हजार की राशि अब तक बकाया हो चुकी है । शासन को लाखों रूपए की क्लिनिकल प्रशिक्षण फीस जमा न करवाकर आर्थिक नुकसान पहुंचाने में केवल दीपक सैनी और नवीन रतलिया ही नही बल्कि सीएमएचओ और सीएस की भी मिलीभगत है । क्योकि वर्ष 2018 में संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं के संयुक्त संचालक राकेश मुंशी द्वारा एक पत्र समस्त सीएमएचओ/सिविल सर्जनों को भेजकर आगाह किया गया था कि प्रतिछात्र 20 हजार रूपए क्लिनिकल शुल्क लिया जावे । उसके बाद पुनः 2019 में संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं राकेश मुंशी ने एक पत्र जारी किया जिसमें आगामी 15 दिवस में संस्थाओं से वसूली करने और वसूली न होने पर राजस्व हानि मानते हुए यह राशि वसूल करने के निर्देश थे । किंतु तत्कालीन सीएमएचओ और सीएस के साथ साथ वर्तमान सीएमएचओ और सीएस ने भी शासन के नियमों को अनदेखा कर लाखों रुपए की राशि जमा न होने के बावजूद श्रीजी इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग और पशुपति कॉलेज ऑफ नर्सिंग को क्लिनिकल प्रशिक्षण की अनुमति देते रहे ।
क्लिनिकल प्रशिक्षण शुल्क वसूलने के बजाय सीएमएचओ और सिविल सर्जन पत्र-पत्र का खेल खेलते रहे । जबकि हर पत्र में ये उल्लेख किया गया है कि उक्त राशि की वसूली आर.सी.सी प्रकरण बनाकर कलेक्टर महोदय को भेजा जाएगा और रजिस्ट्रार नर्सेस काउंसिल भोपाल को कॉलेज की मान्यता समाप्त करने के लिए लिखा जाएगा । किंतु दोनों अधिकारियों ने शासन को लाखों रुपयों का आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाले कॉलेज संचालको से कपटसन्धि कर केवल पत्र जारी करने के सिवाय कुछ नही किया । जब लाखों की वसूली बाकी थी तो फिर इन्हें हर वर्ष क्लिनिकल प्रशिक्षण की अनुमति क्यों प्रदान की गई ये जाँच का विषय है । अगर बकाया राशि की विधिवत वसूली की जाती और जब तक राशि जमा नही होती तब तक जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी द्वारा क्लिनिकल प्रशिक्षण की अनुमति नही दी जाती तो अब तक स्वतः ही दोनों कॉलेजों की मान्यता निरस्त हो चुकी होती क्योंकि दोनों कॉलेजों के पास स्वयं का कोई हॉस्पिटल प्रशिक्षण के लिए नही है।
पत्रकार धनोतिया की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के महानिदेशक अजय कुमार शर्मा ने पूरे मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।



 

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