नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख में टकराव के शेष इलाकों में पिछले 20 महीने से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान के लिये भारत और चीन बुधवार को कोर कमांडर स्तर की वार्ता कर रहे हैं। यह वार्ता करीब तीन महीने के अंतराल पर हो रही है। सूत्रों ने बताया कि 14वें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की ओर चुशुल-मोल्दो बैठक स्थल पर हो रही है। उन्होंने बताया कि ‘वरिष्ठ उच्च सैन्य कमांडर स्तरीय’ वार्ता सुबह साढ़े नौ बजे शुरू होने का कार्यक्रम निर्धारित है।
समझा जाता है कि बातचीत मुख्य रूप से ‘हॉट स्प्रिंग्स’ इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने पर केंद्रित होगी। ऐसी उम्मीद है कि भारतीय पक्ष ‘देपसांग बल्ज’ और डेमचोक में मुद्दों को हल करने सहित बाकी के टकराव वाले सभी स्थानों पर जल्द से जल्द सेना को हटाने पर जोर देगा। वार्ता में भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्या सेनगुप्ता कर रहे हैं,जिन्हें लेह स्थित 14वें कोर का नया कमांडर बनाया गया है। चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिण जिंजियांग सैन्य जिले के चीफ मेजर जनरल यांग लिन को करना था। तेरहवें दौर की वार्ता 10 अक्टूबर 2021 को हुई थी। यह वार्ता गतिरोध के साथ समाप्त हुई थी। दोनों पक्ष इस वार्ता में कोई प्रगति हासिल करने में विफल रहे। भारतीय सेना ने वार्ता के बाद कहा था कि उनकी ओर से दिये गए रचनात्मक सुझाव पर चीनी पक्ष सहमत नहीं हुआ और न ही वह कोई आगे की दिशा में बढने वाला कोई प्रस्ताव पेश कर सका।


नए दौर की यह वार्ता उस समय हो रही है, जब पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील इलाकों में चीन की ओर से पुल बनाने पर भारत ने निशाना साधकर कहा था कि यह इलाका पिछले 60 वर्षो से चीन के अवैध कब्जे में है। पिछले सप्ताह चीन ने अरूणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों का अपनी ओर से नामकरण किया था और भारत ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया था।