RSS से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने गुरुवार को सरकार से बीड़ी पर tax कम करने का आग्रह करते हुए कहा है कि इस पर कर में किसी भी तरह की बढ़ोत्तरी से इस सेक्टर में लगे लाखों श्रमिकों की आजीविका पर असर पड़ेगा। सरकार का ऐसा कदम उद्योग और उनमें से कई को नक्सलवाद की ओर धकेल सकते हैं। एसजेएम के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने एक कार्यक्रम में मांग की कि 'बीड़ी', 'तेंदू' के पत्तों में लिपटे तंबाकू से बनी छोटी सिगरेट को तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। अगर इसे लागू किया जाता है तो अधिनियम में प्रस्तावित परिवर्तन बीड़ी उद्योग को चुनौती देंगे क्योंकि किसी भी तंबाकू उत्पाद के निर्माण, बिक्री और वितरण के लिए लाइसेंस, अनुमति और पंजीकरण लेना अनिवार्य हो जाएगा। सरकार इस क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए अभी तक कोई भी कानून नहीं लाई है। उन्होंने कहा कि सरकार को उन लोगों के लिए वैकल्पिक रोजगार और आजीविका विकल्प देना चाहिए, जो नए उपाय लाने से पहले अपनी आजीविका कमाने के लिए बीड़ी उद्योग पर निर्भर हैं। वर्चुअल इवेंट का आयोजन अखिल भारतीय बीड़ी उद्योग महासंघ द्वारा किया गया था। महाजन ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि बीड़ी उद्योग देश में 4-4.5 करोड़ लोगों को रोजगार और आजीविका प्रदान कर रहा है। इनमें से ज्यादातर श्रमिक गरीब घरों की महिलाएं हैं और जो उत्पाद के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले 'तेंदू' पत्ते इकट्ठा करते हैं।
उन्होंने कहा कि बीड़ी उद्योग पहले से ही 28 प्रतिशत जीएसटी के कारण नुकसान झेल रहा है। बीड़ी पर टैक्स में और बढ़ोतरी से लाखों लोगों की रोजी-रोटी छिन जाएगी। इससे नक्सलवाद भी मजबूत होगा। सरकार को बीड़ी पर टैक्स कम करना चाहिए और इस उत्पाद को उन सभी प्रावधानों के दायरे से बाहर रखना चाहिए, जो तब तक तंबाकू उत्पादों की खपत को कम करने पर विचार कर रहे हैं।
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