भोपाल । मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को ओबीसी के आरक्षण को लेकर हुई बहस के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही होंगे। इसके लिए सरकार कोर्ट जाएगी, जिसमें केंद्र सरकार भी सहयोग करेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 3 दिनों में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा कानूनविदों से इस बारे में चर्चा की है। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही दोपहर तीन बजे के लिए स्थगित कर दी गई है। इससे पहले स्थगन प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि कोर्ट के ऑर्डर का बहाना न बनाएं। हम अब साथ कोर्ट चलते हैं। सदन सर्वसम्मति से इसे पास करे कि ये स्वीकार है या नहीं। वही कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर सबसे पहले बोलते हुए पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने आरोप लगाया कि ओबीसी आरक्षण के कारण जो स्थिति बनी है उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 5 दिन बाद भी पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जल्दबाजी में परिसीमन और आरक्षण को लेकर अध्यादेश लेकर आई थी। उन्होंने सदन में प्रस्ताव रखा कि न्यायालय के अलावा लोक सेवा आयोग राज्य सेवा आयोग व अन्य आयोगों में भी आरक्षण होना चाहिए इसके लिए मध्यप्रदेश विधानसभा को एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजना चाहिए। इस पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने मनमाने तरीके से 2019 में परिसीमन किया था। कांग्रेस इस मामले को लेकर 5 बार न्यायालय में गई। यदि यह तथ्य गलत है तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी के लिए रिजर्व जिला पंचायत सदस्य, जनपद, सरपंच व पंच के पदों के निर्वाचन की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही पंचायत विभाग ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण पद के लिए आरक्षण प्रक्रिया को भी राज्य शासन ने रोक लगा दी थी। इसके बाद 18 दिसंबर को आयोग ने सरकार को कोर्ट की प्रति भेजकर 7 दिन में आरक्षण की प्रक्रिया कर जानकारी देने के लिए पत्र भेजा था।