रायपुर । सूबे का संभवत: यह पहला मामला होगा जब अपने ही विभाग के डीआइजी के खिलाफ डिप्टी जेलर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एफआइआर दर्ज करने की मांग की है। स्वीकृत हो चुकी इस याचिका में डीजीपी, आइजी, एसपी को भी पार्टी बनाया गया है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि 24 नवंबर 2016 से डीआइजी केके गुप्ता वरिष्ठ पद पर रहते हुए बिना शासन के आदेश के रायपुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक पद पर भी बने हुए हैं।
बंदियों की लाखों की पारिश्रमिक गड़बड़ी मामले में विभागीय जांच का सामना कर रहे रायगढ़ के डिप्टी जेलर शत्रुहन कुर्रे ने डीआइजी केके गुप्ता पर साल 1993 में बिलासपुर जेल अधीक्षक रहने के दौरान नियमों के विपरीत जाकर एक वाहन चालक की नियुक्ति का आरोप लगाय है। ऐसी नियुक्ति का अधिकार केवल डीजी जेल को है। चालक की मृत्यु होने पर उसके बेटे को भी उसी पद पर नियुक्ति दे दी गई थी। शिकायत होने के बाद भी जांच नहीं की गई। इस याचिका के बाद हाइकोर्ट ने शासन से जवाब तलब करने के साथ ही डीआइजी जेल को निजी तौर पर नोटिस जारी किया है। इससे जेल विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
डिप्टी जेलर शत्रुहन कुर्रे द्वारा हाइकोर्ट में लगाई गई याचिका में कहा गया है कि 1993 में बिलासपुर जेल में अधीक्षक रहने के दौरान केके गुप्ता ने नियमों के खिलाफ न केवल ड्राइवर सपन कुमार सूत्रधार की भर्ती की बल्कि उसके निधन हो जाने पर बेटे को भी उसी पद पर नियुक्ति दे दी। इस संबंध में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार लिखित शिकायत करने पर भी किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई।साल 2016 से वरिष्ठ पद पर रहते हुए बिना शासन के आदेश के गुप्ता रायपुर सेंट्रल जेल में अधीक्षक के पद पर पदस्थ है। नियमानुसार एक अधिकारी दो पद पर नहीं रह सकता है।कुर्रे की याचिका पर हाइकोर्ट ने शासन से जवाब मांगा है। इसके साथ ही जेल डीआइजी को निजी तौर पर नोटिस जारी किया है।
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