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राजधानी के लोगों के नाम से मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के अलग-अलग शहरों के कोरोना वैक्सीन के डबल डोज सर्टिफिकेट जारी हो जाने के मामलों में सरकारी एजेंसियों में खलबली मचा दी है। रायपुर में ही पिछले 15 दिन में चार दर्जन से ज्यादा लोग जब दूसरा डोज लेने वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचे, वहां उनका नाम-नंबर कोविन पोर्टल पर अपलोड हुआ तो तुरंत स्क्रीन पर यह जानकारी डिस्प्ले हुई कि उनका डबल डोज का सर्टिफिकेट ऐसे शहरों-राज्यों से जारी हो गया, जहां वे कभी गए ही नहीं।
कुछ राज्यों में रायपुर ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में प्रदेशभर के लोगों के मोबाइल नंबर से वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जारी कर वहां वैक्सीनेशन का आंकड़ा बढ़ा लिया गया है। भास्कर के पास राजधानी के ही ऐसे दर्जनभर लोगों ने पहुंचकर प्रमाण प्रस्तुत किए हैं कि उनका डबल डोज बचा है, लेकिन उनके टीकाकरण सर्टिफिकेट मध्यप्रदेश, राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र और ओडिशा से जारी हो चुके हैं। ओमिक्रॉन संकट की वजह से राजधानी ही नहीं, प्रदेशभर के टीकाकरण केंद्रों में डबल डोज के लिए जाने वालों की संख्या बढ़ी है और इसी दौरान यह खुलासा हुआ है।
लोगों ने बताया कि वे सेंटर पहुंचे और टीकाकरण के लिए उनके मोबाइल नंबर और नाम की एंट्री कोविन पोर्टल में की गई, तब उनका टीका पहले से ही किसी दूसरे राज्य में लगा हुआ होना दिखाई दे रहा है। जानकारों के मुताबिक सरकारी सेटअप में बहुत सारी सुविधाएं आधार कार्ड के जरिए मिल रही है। इससे उसकी सुरक्षा को लेकर हमेशा खतरा बना रहता है, लेकिन सरकारी सेटअप में ही इस तरह की चूक होना आधार नंबर की सुरक्षा पर बड़ा सवाल पैदा कर रहा है।
जो दूसरे राज्य गए नहीं पर सर्टिफिकेट जारी
नेहा पटेल एमपी रीवा के केंद्र से सर्टिफिकेट, नितेश बालाघाट के केंद्र से सर्टिफिकेट, शिवानी सतना के केंद्र से सर्टिफिकेट जारी हुआ, मध्यप्रदेश के रीवा केंद्र से सर्टिफिकेट जारी हुआ, मंजूरानी एमपी राजस्थान केंद्र से सर्टिफिकेट जारी हुआ, कुणाल कुमार जबलपुर केंद्र से सर्टिफिकेट जारी कोविन पोर्टल या एप के जरिए वैक्सीनेशन के अन्य राज्यों से जारी हुए ज्यादातर सर्टिफिकेट रीवा, सतना और बालाघाट बेल्ट से निकल रहे हैं। रीवा जिले के रिमोट इलाकों से सबसे ज्यादा सर्टिफिकेट जारी हुए हैं। मध्यप्रदेश के ये तीनों ही जिले छत्तीसगढ़ से काफी करीब हैं या सीमावर्ती हैं। रायपुर के रहवासियों के आधार नंबर किस तरह वहां तक पहुंचे, देखा जाए तो ये अब बड़ी जांच का विषय बन गया है। इतना ही नहीं, जिन लोगों के साथ इस तरह की गड़बड़ी हो रही है, उनमें से हितग्राही भी हैं जिनको कोरोना की पहली या दूसरी लहर में कोविड हो चुका है। अस्पताल में भर्ती होने के वक्त उन्होंने वहां भी आधार नंबर दिया था। उन्हें तो टीके के लिए सेंटर जाए बिना भी एसएमएस के जरिए दूसरा डोज किसी और राज्य से लगा हुआ होने की सूचना मिल रही है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के मुताबिक इस तरह की गड़बड़ी क्यों हो रही है? इसको लेकर पहले भी पड़ताल शुरू कर दी गई है।
छत्तीसगढ़ के लोगों के वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट एमपी, राजस्थान या दूसरे राज्यों से जारी होना इस बात का सीधा मतलब ये है कि आधार कार्ड को लेकर जो सुरक्षा चक्र वो पुख्ता नहीं है। साइबर कानून की दृष्टि से ये आधार नंबर के दुरुपयोग का मामला भी है। हितग्राही चाहे तो इसकी केंद्र सरकार की साइबर क्राइम पोर्टल में भी शिकायत कर सकते हैं। कोविन पोर्टल में किसी भी व्यक्ति का सर्टिफिकेट आखिर दूसरे राज्य से कैसे जारी हो सकता है? ये गंभीर सवाल है देश में साइबर कानूनों को लेकर अब गंभीरता से प्रयास किए जाने चाहिए।
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