सारंगपुर।।पडाना कस्बे के झिरी स्थान स्थित नरसिंह मंदिर परिसर में चल रही भागवत कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को छप्पन भोग लगाया श्री कृष्ण द्वारा अपने मस्तक पर मोर पंख धारण करने के पीछे मोर मोरनी में कामना रहित प्रेम का कारण बताया कथावाचक संत वर्षा नागर ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि जब देवताओं के राजा इंद्र को अधिक घमंड हो गया तब से उसका घमंड तोड़ने के लिए ब्रजवासियों से इनकी पूजा करवाते हुए गोवर्धन पर्वत को छप्पन भोग लगाकर उसकी पूजा करवाई इससे इंद्र को क्रोध आ गया और मूसलाधार बारिश करवाई जिससे ब्रज वासियों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया बारिश से बचने के लिए द्वापर युग में श्री कृष्ण ने गोवर्धन को अंगुली पर धारण किया जब इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से युद्ध किया तब वह उसमें हार गया और उसके अंदर समाया हुआ सारा घमंड चूर हो गया इसलिए मनुष्य को कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि परमात्मा के आगे किसी का घमंड नहीं चलता है इसके साथ ही घर के परिवार की कोई भी समस्या हो इसके लिए किसी बाबा के दरबार में जाने की जरूरत नहीं है भगवान पर भरोसा रख कर के अपने परिवार के बीच में ही रखना चाहिए तथा हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करने से सारा संकट खत्म हो जाता है संत वर्षा नागर के द्वारा कथा के दौरान पूतना वध भगवान भोलेनाथ कृष्ण दर्शन की कथा भगवान का नामकरण भगवान के चतुर्भुज रूप के दर्शन कालिया नाग मर्दन सहित अन्य लिलाओ के प्रसंग की कथा सुनाई कथा में आसपास के गांव सहित कस्बे के श्रद्धालु कथा श्रवण को पहुंचे कथा रोजाना 12:00 से 3:00 बजे तक आयोजित की जा रही है।
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