मुंबई। कुछ ही महीने पहले की ही बात है. जब मुंबई महानगरपालिका ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से निपटने में तत्परता दिखाई, मौतों को रोका, ऑक्सीजन का इंतजाम किया, उसे मुंबई मॉडल का नाम दिया गया और इस मुंबई मॉडल की देशभर में खूब तारीफ हुई. स्वास्थ्य कर्मियों की हौसला अफजाई के लिये इस शहर ने भी ताली और थाली बजायी थी, दूसरे राज्यों के अधिकारी इस मॉडल को समझने के लिये मुंबई आये, लेकिन उसी मुंबई में तीन लोग स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों के चलते बेमौत मारे जाते हैं. दरअसल मुंबई महानगरपालिका द्वारा संचालित अस्पतालों में आलम यह है कि अस्पताल में तड़पते मरीज को देखने के लिये डॉक्टर नहीं रहते. जी हाँ, मुंबई महानगरपालिका देश की सबसे अमीर महानगरपालिका है. कई छोटे राज्यों के बजट से भी मुंबई मनपा का बड़ा बजट होता है, लेकिन इसी मुंबई मनपा के अस्पताल में स्वास्थ व्यवस्था इतनी लचर है कि आग से झुलसा एक चार महीने का बच्चा तड़प-तड़प कर इसलिए मर जाता है, क्योंकि अस्पताल पहुंचने के बाद काफी देर तक उसका कोई इलाज करने वाला नहीं होता. फिर एक एक कर उसके पिता और फिर उसकी मां की भी मौत हो जाती है. इन दोनों का 5 साल का एक दूसरा बच्चा अनाथ हो जाता है. घटना बीते 30 नवंबर की है. मुंबई के वर्ली इलाके में एक घर के भीतर एलपीजी सिलेंडर का विस्फोट हुआ. आसपास के लोग बुरी तरह से झुलस गए. आनंद पुरी और उनकी पत्नी विद्या पुरी तथा उनके 4 महीने के बच्चे मंगेश पुरी और 5 साल के बेटे विष्णु पुरी को पास के नायर अस्पताल ले जाया जाता है. घायल के अस्पताल पहुंचने के बाद उम्मीद की गई कि उसको तुरंत इलाज मिल जाएगा, लेकिन करीब घंटे भर तक ये सभी लोग अस्पताल में तड़पते रहते हैं, कराहते रहते हैं, लेकिन कोई उनका इलाज शुरू नहीं करता. स्थानीय लोगों के हंगामे के बाद जब इलाज शुरू होता है तब तक देर हो चुकी होती है. 4 महीने का मंगेश तड़प तड़प कर दम तोड़ देता है. दो दिन बाद उसके पिता आनंद की भी मौत हो जाती है. कल बच्चे की मां विद्या ने भी दम तोड़ दिया. वक्त पर इलाज नहीं मिलने से तीन जिंदगी खाक हो गई. एक पांच साल के बच्चे से मां-बाप का साया छिन गया. ये सबकुछ उस मुंबई शहर में हुआ, जहां हर पल करोडों रूपये का लेन-देन होता है. जिसे देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, जिसकी गिनती दुनिया के आधुनिक शहरों में होती है. इस साल मुंबई महानगरपालिका का बजट करीब 40 हजार करोड़ रूपये का है, जिसमें से पौने 5 हजार करोड़ रूपये हेल्थ केयर के लिये रखे गये हैं. फिर भी मनपा के अस्पताल में तड़पते मरीज को देखने के लिये डॉक्टर नहीं रहते. इस घटना के बाद वही हुआ जो आमतौर पर भारत में किसी हादसे के बाद होता आया है. विपक्षी पार्टियों ने मनपा को घेरा, जिसके बाद मनपा ने जांच के आदेश दिये और दो डॉक्टर और एक नर्स को सस्पेंड कर दिया. दरअसल सवालों के घेरे में शिवसेना है, जिसकी मनपा में विगत तीन दशक से सत्ता है. जिस मुंबई शहर में ये हादसा हुआ, आदित्य ठाकरे उसके प्रभारी मंत्री है और जिस वर्ली इलाके के लोग हादसे में मारे गये, आदित्य वहीं से विधायक भी हैं. बहरहाल मनपा ने जांच का आदेश जारी कर अपनी खानापूर्ति कर ली है. बीजेपी 4 दिनों तक हंगामा करने के बाद मामले को भूल जायेगी, लेकिन उस 5 साल के बच्चे को जिंदगी भर अपने मां बाप की कमी सताती रहेगी.