भोपाल। देश में लगातार पांच सालों से सबसे स्वच्छ शहर का खिताब जीतने वाला शहर प्रदूषण से लड़ाई हार रहा है। प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। पिछले 50 दिनों से शहर में एक भी दिन प्रदूषण का स्तर 100 से नीचे नहीं आया है। वहीं इनमें से 25 दिन ऐसे हैं, जब यह 200 से भी ज्यादा रहा है। सांस के मरीजों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है, जिसे प्रदूषण के साथ ही स्वास्थ्य के लिहाज से काफी चिंताजनक माना जा रहा है।
शहर में वायु प्रदूषण को देखते हुए प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि तक कई नई योजनाएं बना रहे हैं, लेकिन पिछले दिनों में दर्ज प्रदूषण के आंकड़े बताते हैं कि इन योजनाओं का कोई असर नहीं हो रहा है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  द्वारा शहर में हर पल वायु प्रदूषण की गणना की जाती है। इसके आधार पर रोज का औसत प्रदूषण स्तर एयर क्वालिटी इंडेक्स के रूप में निकाला जाता है। बोर्ड द्वारा तैयार की जाने वाली इस रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि 19 अक्टूबर के बाद से एक भी दिन प्रदूषण का स्तर 100 से कम नहीं रहा है। 19 अक्टूबर से आज तक 50 दिनों में एक्यूआई पूरे समय 100 से ऊपर बना हुआ है।
काफी चिंताजनक
एमपीपीसीबी द्वारा जारी पॉल्यूशन कैलेंडर को देखने पर सामने आता है कि 19 अक्टूबर से अब तक 50 दिनों में 25 दिन, यानी करीब आधे समय एक्यूआई 200 से भी ज्यादा रहा है। एक्सपर्ट इसे काफी चिंताजनक मान रहे हैं। पिछले तीन दिनों से भी यह 200 से ऊपर ही बना हुआ है। वहीं दिवाली पर प्रदूषण का आंकड़ा 382 तक पहुंच गया था, जो सर्वाधिक था। एक्सपट्र्स के मुताबिक अभी शहर में मौसम ठीक है तब भी प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ा हुआ है। ठंड बढऩे पर यह और भी बढ़ सकता है, क्योंकि ठंड बढऩे पर कोहरा भी छाया रहता है, जिससे गैसें ज्यादा ऊपर नहीं जा पातीं और निचले वायुमंडल में ही बनी रहती हैं, जो प्रदूषण के स्तर को और बढ़ा देती हैं।
प्रशासन कर रहा कई प्रयास
शहर में वायु प्रदूषण कम करने के लिए जिला प्रशासन नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, परिवहन विभाग और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर कई प्रयास कर रहा है। इसके तहत पिछले दिनों बड़े उद्योगों में लकड़ी और कोयले के बजाय गैस आधारित बायलर चलाने के आदेश दिए गए हैं। वहीं होटलों में भी लकड़ी या कोयले की भ_ी के बजाय गैस की भ_ी के उपयोग के आदेश दिए हैं। दूसरी ओर शहर में चलने वाली बसों को भी सीएनजी बसों के साथ बदलने की तैयारी की जा रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।