चंडीगढ़. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने शनिवार को एक स्पष्टीकरण जारी किया कि पंजाब के कुछ किसान संगठनों द्वारा विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए ‘संयुक्त समाज मोर्चा’ बनाने की आज की घोषणा से उनका कोई लेना-देना नहीं है. संगठन ने कहा कि एसकेएम किसी भी राजनीतिक दल को अपने बैनर/मंच का इस्तेमाल नहीं करने देने की अपनी नीति पर कायम है. इसके साथ ही 15 जनवरी को होने वाली आगामी राष्ट्रीय एसकेएम बैठक यह तय करेगी कि चुनाव में भाग लेने वाले किसान संगठन और नेता एसकेएम के भीतर रह सकते हैं या नहीं.इससे पहले, केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे पंजाब के 22 किसान संगठनों ने शनिवार को एक राजनीतिक मोर्चा बनाया और घोषणा की कि वे एक ‘‘राजनीतिक बदलाव’’ के लिए आगामी राज्य विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. इस संबंध में निर्णय इन संगठनों के प्रतिनिधियों ने यहां लिया.

चुनाव में लड़ने के लिए संयुक्त समाज मोर्चा का गठन
किसान नेता हरमीत सिंह कादियान ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पंजाब में अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए संयुक्त समाज मोर्चा का गठन किया गया है. उन्होंने हाल में संपन्न शीतकालीन सत्र में निरस्त किये गए केंद्रीय कृषि कानूनों की ओर इशारा करते हुए कहा कि एसकेएम का गठन विभिन्न विचारधाराओं वाले विभिन्न निकायों के साथ किया गया था और “हम एक साल से अधिक समय के बाद लड़ाई लड़कर लौटे.”भारतीय किसान यूनियन (कादियान) के नेता ने कहा, “पंजाब में हमें जिस तरह का स्वागत मिला और लोगों की हमसे उम्मीदें बढ़ी हैं.” कादियान ने कहा, “हम पर काडर और अन्य लोगों का बहुत दबाव है और अगर आप उस ‘मोर्चा’ को जीत सकते हैं, तो आप पंजाब की बेहतरी के लिए कुछ कर सकते हैं.” उन्होंने कहा, “हम एक नया मोर्चा ‘संयुक्त समाज मोर्चा’ लेकर आ रहे हैं.”

तीन और किसान संगठनों का मिला समर्थन
कादियान ने दावा किया कि बीकेयू (डकौंडा) और बीकेयू (लखोवाल) सहित तीन और किसान संगठनों ने इस फैसले का समर्थन किया है, लेकिन वे अपनी बैठकें कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “पंजाब के लोगों के आह्वान पर हम यह ‘मोर्चा’ लाये हैं, जो (राज्य की) सभी 117 (विधानसभा) सीटों पर लड़ने के लिए तैयार है.” कादियान ने कहा, “हम अन्य संगठनों को भी एक नया पंजाब बनाने के लिए हमारे साथ जुड़ने का खुला निमंत्रण देते हैं.” उन्होंने कहा कि भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के बलबीर सिंह राजेवाल संयुक्त समाज मोर्चा के नेता होंगे.

‘पंजाब को नई दिशा देंगे’
किसान नेता बलदेव सिंह ने कहा कि किसान संगठन लोगों की उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं. सिंह ने कहा, “हम पंजाब को एक नई दिशा देंगे.” उन्होंने कहा कि अवैध रेत खनन और मादक पदार्थ समस्या का राजनीतिक दलों द्वारा समाधान नहीं किया जा रहा है. सिंह ने कहा, “हम पंजाब के लोगों को विश्वास दिलाते हैं कि वे हम पर विश्वास करते हैं और हम उनके मुद्दों को हल करने की दिशा में काम करेंगे, जैसे नशीली दवाओं के खतरे को रोकना और युवाओं को विदेश जाने से रोकना.”

चुनाव लड़ने का फैसला ‘राजनीतिक बदलाव’ के लिए लिया गया
किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा, “हम पंजाब को शीर्ष पर ले जाना चाहते हैं.” किसान संगठनों के राजनीति में आने के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजेवाल ने कहा कि यह निर्णय लेने के लिए पंजाब के लोगों की मांग और “भारी दबाव” था. उन्होंने कहा कि यह फैसला ‘राजनीतिक बदलाव’ के लिए लिया गया है. राजेवाल ने कहा कि संयुक्त समाज मोर्चा सभी 117 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा.उन्होंने लोगों से पारंपरिक राजनीतिक दलों के बयानों के झांसे में न आने की अपील करते हुए कहा, ‘‘’राज्य में बिगड़ी व्यवस्था को बदलने की जरूरत है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या ‘मोर्चा’ (संयुक्त समाज मोर्चा) आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करेगा, जो कि पंजाब में मुख्य विपक्षी दल है, राजेवाल ने कहा कि अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. कादियान ने इसे एक ‘नई सुबह’ करार देते हुए कहा कि यह कोई राजनीतिक दल नहीं, बल्कि ‘मोर्चा’ है.

एसकेएम में 475 संगठन शामिल हैं, पंजाब में 32 किसान संगठन
एसकेएम द्वारा विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के निर्णय पर संधू ने कहा कि एसकेएम में 475 संगठन शामिल हैं, जबकि पंजाब में 32 किसान संगठन हैं. उन्होंने कहा कि वे चुनाव लड़ने के लिए एसकेएम के नाम का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. एसकेएम नेता दर्शन पाल और जगजीत सिंह दल्लेवाल ने एक बयान में कहा कि वह पंजाब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहा है. उन्होंने कहा कि एसकेएम, देश भर में 400 से अधिक विभिन्न वैचारिक संगठनों का एक मंच है और इसका गठन किसानों के मुद्दों पर ही किया गया था.

एसकेएम नेताओं ने कहा, चुनाव लड़ने के लिए भी कोई समझ नहीं
एसकेएम नेताओं ने कहा कि चुनाव के बहिष्कार का कोई आह्वान नहीं है और चुनाव लड़ने के लिए भी कोई समझ नहीं है. उन्होंने कहा कि इसका गठन लोगों द्वारा सरकार से अपना अधिकार लेने के लिए किया गया था और तीन कृषि कानूनों के निरस्त किये जाने के बाद संघर्ष को स्थगित किया गया है.मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं- सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. गत 29 नवंबर को संसद द्वारा कानूनों को निरस्त कर दिया गया था, लेकिन किसानों ने अपनी लंबित मांगों जैसे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के लिए एक समिति और किसानों के खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेने जैसी अन्य मांगों को लेकर अपना विरोध जारी रखा था.