भोपाल । मप्र में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव का मामला एक बार फिर लटकता दिख रहा है। इससे यह संभावना बढ़ गई है कि अब पंचायत चुनाव अगले साल ही हो सकते हैं। दरअसल, पंचायत चुनाव का मामला अब ग्वालियर हाईकोर्ट की बेंच में पहुंच चुका है। पंचायत अधिनियम में किए गए संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसमें बताया गया है कि यह संशोधन संविधान की धारा 243 से कवर्ड नहीं है। इस याचिक को पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता राजीव शर्मा द्वारा दायर किया गया है। 21 नवंबर को मध्य प्रदेश पंचायत राज और ग्राम स्वराज्य संशोधन अध्यादेश पारित किया गया है। अध्यादेश के माध्यम से पंचायत एक्ट में सेक्शन 9 अ को जोड़ा गया है, जिसे याचिका में नियम विरुद्ध बताया गया है। वही इसी मामले से जुड़ी हुई एक और याचिका दायर हुई है। यहां कल्लू राम सोनी नाम के व्यक्ति ने अध्यादेश को चुनौती दी है। इसमें उन्होंने रोटेशन प्रणाली लागू करने की मांग उठाई है, क्योंकि सरकार ने पुरानी व्यवस्था पर चुनाव कराने की मंशा जाहिर की है। ऐसे में इस याचिका को दायर करते हुए आज हुई सुनवाई में 4 सप्ताह में सरकार से जवाब मांगा है।
गौरतलब है कि पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा दायर याचिका पर आगामी 4 दिसंबर को मध्य प्रदेश के चीफ जस्टिस ग्वालियर बेंच में सुनवाई करेंगे। इसमें खुद सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता राजीव शर्मा के साथ मामले में पैरवी करेंगे। ऐसे में 4 दिसंबर को होने वाली सुनवाई पंचायत चुनाव से जुड़ी याचिका के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि एक और जहां सरकार पंचायत चुनाव को जल्द कराने की बात कह रही है तो वहीं कांग्रेस लगातार सरकार की इस मंशा पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगा रही है कि सरकार पंचायत चुनावों को टालना चाहती है।