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केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने हॉकी इंडिया को निर्देश दिया है कि वह खुलासा करे कि विदेशी खातों में पैसा स्थानांतरित करने और उसके खातों से नकद निकासी करने का उद्देश्य क्या है क्योंकि महासंघ ने व्यावसायिक गोपनीयता के आधार पर इस सूचना को छिपाया था।
कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने 20 बिंदू की सूचना का अधिकार (आरटीआई) याचिका अक्तूबर 2019 में दायर करके हॉकी इंडिया के संचालन की विस्तृत जानकारी मांगी थी जिसमें बैंक खातों में हस्ताक्षर करने वालों और उनका पद, विदेशी खातों में किया गया स्थानांतरण और उसके खातों से नकद निकासी और उसका उद्देश्य भी शामिल है।
हॉकी इंडिया ने इस आधार पर इन बिंदुओं पर सूचना देने से इनकार कर दिया था कि आरटीआई कानून की धारा आठ (एक) (डी) (व्यावसायिक गोपनीयता) के तहत इस बारे में जानकारी का खुलासा करने से छूट है।
अग्रवाल इसके बाद हॉकी इंडिया के जवाब को चुनौती देते हुए सीआईसी की शरण में गए थे जो आरटीआई कानून के तहत फैसला करने वाली शीर्ष संस्था है।
अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने सिर्फ हस्ताक्षर करने वाले अधिकारियों का पद और बैंक खातों का नाम मांगा था और यहां गोपनीयता का सवाल लागू नहीं होगा।
अग्रवाल ने कहा कि दूसरे देशों में पैसे के स्थानांतरण से संबंधित सूचना का खुलासा हॉकी इंडिया को आरटीआई कानून की धारा आठ (2) (जनहित में) करना चाहिए क्योंकि कोई भी पैसा जो दूसरे देशों में स्थानांतरित हो रहा है वह जनहित में है।
नकद निकासी का उद्देश्य बताने का भी निर्देश
हॉकी इंडिया के खातों से नकद निकासी के संदर्भ में अग्रवाल ने कहा कि नोटबंदी के बाद अधिकांश लेन-
देन डिजिटल आधार पर किए गए लेकिन इसके बावजूद उन्हें सूत्रों से पता चला है कि हॉकी इंडिया ने नकद निकासी दी।
सूचना आयुक्त अमिता पांडोव ने कहा,
‘इसलिए वह प्रमाणित सूचना जानना चाहते हैं और आयोग से आग्रह किया कि वह पूर्ण सूचना मुहैया कराने का निर्देश दे।’ अपने आदेश में अमिता ने हॉकी इंडिया को निर्देश दिया कि वे बैंक खातों पर हस्ताक्षर करने वालों के पद की जानकारी दे। उन्होंने साथ ही महासंघ को निर्देश दिया कि वे विदेशों में बैंक खातों में पैसा स्थानांतरित करने और हॉकी इंडिया द्वारा नकद निकासी का उद्देश्य बताए।
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