सागर के शाहगढ़ में दांपत्य जीवन का त्याग कर 65 वर्षीय अंगूरी देवी ने वैराग्य की ओर कदम बढ़ाए हैं। वे 14 दिसंबर को राजस्थान के बांसवाड़ा तीर्थ में दीक्षा लेंगी। इससे 11 दिन पहले शनिवार को नगर में बिनौली यात्रा निकाली गई। सकल दिगंबर जैन समाज ने सामूहिक रूप से गोद भराई का कार्यक्रम रखा। इसमें लोगों ने भावुकता और नम आंखों से उनकी गोद भराई की। दोपहर के समय अंगूरी देवी की सामूहिक रूप से समाज ने गोद भराई की। उन्हें सजाकर बग्घी में विराजमान कर शहर में बिनौली यात्रा निकाली गई।

बैंड बाजा और दिव्य घोष की धुन पर मंदिर से शुरू हुई बिनौली यात्रा शहर के मुख्य मार्गों से होकर निकली, जिसमें बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए। साथ ही बिनौली यात्रा के दौरान समाज के लोगों ने अपने-अपने घरों में उनकी गोद भराई की। इससे देर शाम तक यह कार्यक्रम जारी रहा।

14 दिसंबर को बांसबाड़ा में होगा दीक्षा कार्यक्रम

अंगूरी देवी 14 दिसंबर को राजस्थान के बांसवाड़ा तीर्थ क्षेत्र में पहुंचकर आचार्य विभव सागर महाराज से दीक्षा लेंगी। क्षुल्लिका दीक्षा होने के बाद आचार्य विभव सागर द्वारा उन्हें नया नाम दिया जाएगा।

10 साल से कर रही हूं ब्रह्मचर्य व्रत का पालन

अंगूरी देवी ने बताया कि सिद्धश्री माता जी से प्रेरणा मिली थी। इसके बाद पिछले 10 वर्षों से ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर घर में ही कठोर त्याग की उपासना कर रही थी। अब दीक्षा लूंगी। अंगूरी देवी ने कक्षा 5वीं तक पढ़ाई की है। वे गृहिणी हैं। उनका एक बेटा और एक बेटी है। दोनों की शादी हो चुकी है।

पत्नी के नए सफर में मैं साथ हूं

शाहगढ़ के रानी लक्षमीबाई वार्ड निवासी सुरेश शाह ने कहा कि पत्नी अंगूरी देवी ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर रही थीं। अब उनको लगा कि दीक्षा लेना है, तो मैं उनके इस कल्याण मार्ग में बाधा नहीं बनूंगा। मैंने उन्हें नए सफर पर जाने की स्वीकृति दी है। हमारी 48 साल पहले शादी हुई थी।