लखनऊ । उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की एक टिप्पणी के बाद भाजपा में काफी रोष है।अखिलेश ने एक जनसभा में मोहम्मद अली जिन्ना को सरदार पटेल और महात्मा गांधी की तरह ही आजादी का नायक बताया। उनके इस बयान को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'शर्मनाक' और 'तालिबानी मानसिकता' वाला बताया है। इसके साथ ही सीएम योगी ने अखिलेश से माफी मांगने की बात भी कही है। सीएम योगी ने कहा, 'समाजवादी पार्टी प्रमुख ने कल जिन्ना और सरदार पटेल की तुलना की। ये शर्मनाक है। ये तालिबानी मानसिकता है जो बांटने में विश्वास रखती है। सरदार पटेल ने देश को एक सूत्र में पिरोया था।' उन्होंने कहा कि अखिलेश को अपने इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।
यूपी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने अखिलेश यादव के इस बयान को उनकी 'राजनीतिक अपरिपक्वता' बताया है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए, मोहसिन रजा ने कहा, जिन्ना पर देश का बंटवारा करने का दारोमदार है, उसका महिमामंडन कैसे कर सकते हैं? देश का बंटवारा करने वालों को ऐसे बताना देश का अपमान है। ओवैसी हों या अखिलेश दोनों मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं।
भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने भी अखिलेश के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि अखिलेश यादव यूपी चुनाव के बाद पाकिस्तान में शरण लेने वाले हैं। अखिलेश यादव इतिहास के अपराधी के तौर पर बात कर रहे हैं। उन्होंने भारत के इतिहास की पुस्तक पढ़ी है या फिर पाकिस्तान के इतिहास को पढ़कर इस तरीके का बयान दे रहे हैं।' राकेश सिन्हा ने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि अखिलेश इस तरह का बयान देकर यूपी के मुसलमानों को आकर्षित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के मुसलमानों का जिन्ना से कोई संबंध नहीं है और इस तरह का बयान भारत के मुसलमानों का अपमान है। उन्होंने कहा, 'अखिलेश यादव इस सीमा तक जाकर मोहम्मद अली जिन्ना का महिमामंडन कर रहे हैं। वो ये मानकर चल रहे हैं कि उत्तर प्रदेश और भारत के मुसलमान प्रसन्न होंगे, पर ऐसा होने वाला नहीं है।'
रविवार को हरदोई में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अखिलेश ने ये बयान दिया था। उन्होंने कहा था, सरदार पटेल जमीन को पहचानते थे और जमीन को देखकर फैसले लेते थे, वह जमीन को समझ लेते थे तभी फैसला लेते थे, इसीलिए आयरन मैन के नाम से जाने जाते थे। सरदार पटेल जी, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और जिन्ना एक ही संस्था में पढ़ कर बैरिस्टर बन कर आए थे। एक ही जगह पर पढ़ाई लिखाई की। वो बैरिस्टर बने उन्होंने आजादी दिलाई अगर उन्हें किसी भी तरह का संघर्ष करना पड़ा होगा तो वो पीछे नहीं हटे।