मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने एक प्रकरण में अनुशंसा की है कि राज्य शासन यह सुनिश्चित करे कि शासकीय चिकित्सालयों में महिलाओं के गर्भाशय से संबंधित हाईस्टेरेक्टोमी आपरेशन किये जाने के पूर्व विभागीय स्तर पर अपेक्षित आवश्यक प्रोटोकाॅल्स/नियमों/निर्देशों का अक्षरशः पालन सुनिश्चित किया जाये। ऐसे प्रत्येक हाईस्टेरेक्टोमी आपरेशन की जानकारी संबंधित जिले के सीएमएचओ को भी तत्काल दी जाये, जिससे ऐसी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता का समाधान किया जा सके। आयोग ने यह भी कहा है कि राज्य शासन यह भी तय करे कि 22 से 35 वर्ष की आयु समूह की किसी भी महिला के हाईस्टेरेक्टोमी आपरेशन के पूर्व उसके गर्भाशय को बचाने का प्रयास किया जाये और इस संबंध में उसकी जांच/प्रयास और अन्य कार्यवाही के संबंध में स्पष्ट पठनीय जानकारी ऐसी महिला से संबंधित मेडिकल रिकार्ड/केसशीट में रखी जाये, जिससे सुलभ संदर्भ हेतु यह जानकारी उपलब्ध रहे। शासन यह भी तय करे कि यदि हाईस्टेरेक्टोमी आपरेशन के दौरान गर्भाशय (बच्चेदानी) की हिस्टोपैथोलाॅजी जांच आवश्यक रूप से करायी जाये। यदि हाईस्टेरेक्टोमी आपरेशन से संबंधित महिला निर्धन, कमजोर वर्ग के साथ ही अशिक्षित है, तो उसके पति अथवा परिवार के अन्य सक्षम सदस्य की उपस्थिति में उसे ऐसे आपरेशन के पूर्व एवं पश्चात् की सभी परिस्थितियों को समझाते हुये उसकी स्पष्ट सहमति ली जाये, इसके बाद ही ऐसा आपरेशन किया जाये और ऐसी समस्त कार्यवाही का भी स्पष्ट पठनीय अभिलेख महिला मेडिकल रिकार्ड/केसशीट मंे रखा जाये। उल्लेखनीय है कि आयोग द्वारा एक दैनिक समाचार पत्र के 14 दिसंबर 2017 के अंक में प्रकाशित ‘‘पैसों के लालच में निकाली 599 आदिवासी महिलाओं की कोख’’ शीर्षक खबर पर संज्ञान लेकर प्रकरण पंजीबद्ध कर इसे जांच में लिया गया था। आयोग द्वारा मामले की निरंतर सुनवाई की गई। अंततः 18 अक्टूबर 2021 को इस मामले में यह अंतिम अनुशंसा की गई है