मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने एक प्रकरण में अनुशंसा की है कि रोड़ एक्सीडेंट के प्रकरणों में या ऐसी घटनाओं, जहां पर कोई व्यक्ति चोटिल हुआ है, तो घटनास्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारी/कर्मचारी ऐसे चोटिल व्यक्ति को उपचार हेतु सीधे अस्पताल ले जायें। आयोग ने यह भी कहा है कि पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु के प्रकरणों में शव परीक्षण के समय वीडियोग्राफी एवं फोटोग्राफी विशेषज्ञ फोटोग्राफर से करायी जाये। पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु के प्रकरणों में शव परीक्षण रिपोर्ट के दौरान हिस्टोपैथोलाॅजी परीक्षण हेतु सामग्री अनिवार्य रूप से संकलित की जाये। घटना में मृतक शिवम मिश्रा के शव परीक्षण में 12 चोटें आई है, ये चोटें किन परिस्थितियों में आईं और इनका उल्लेख पुलिस द्वारा संत हिरदाराम नगर, सिविल अस्पताल, बैरागढ़ में कराये गये मेडिकल परीक्षण में क्यों नहीं आया ? इस संबंध में भी सीएमएचओ तथा एसपी भोपाल द्वारा संयुक्त रूप से जांच की जाये एवं तदानुसार वैधानिक कार्यवाही/अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये। उल्लेखनीय है कि आयोग द्वारा एक दैनिक समाचार पत्र के 20 जून 2019 के अंक में प्रकाशित ‘‘बैरागढ़ के थाने में एक युवक को पीट-पीटकर मार डाला, दूसरे के दोनों हाथ तोडे, पुलिसवाले का बेटा है मृतक शिवम, ड्यूटी पर तैनात जांच पुलिसकर्मी सस्पेंड’’ शीर्षक खबर पर संज्ञान लेकर प्रकरण पंजीबद्ध कर इसे जांच में लिया गया था। आयोग द्वारा मामले की निरंतर सुनवाई की गई। अंततः 15 सितम्बर 2021 को इस मामले में यह अंतिम अनुशंसा की गई है।