15 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीणों को पुलिया बनने का इंतज़ार
Type Here to Get Search Results !

15 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीणों को पुलिया बनने का इंतज़ार

 
  • 15 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीणों को पुलिया बनने का इंतज़ार
  • 2 बिजली खंबों के सहारे सैकड़ों ग्रामीण की जान
  • बीस गांव के ग्रामीण परेशान, शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नही

सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की विशेष रिपोर्ट।
जहां हमारा देश आज विश्वशक्ति बनने का सपना देख रहा है। शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की बात की जा रही है। वहीं आज भी हमारे देश में कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं। जहां लोगों को अपनी जान जोखिम में डाल कर रास्ता पार करना पड़ता है। जरा सी नजर चूक जाए या थोड़ी सी भी गलती हो जाए तो यह जोखिम भरे रास्ते किसी की भी जान ले सकते हैं। हम बात कर रहे हैं रायसेन जिले के सांची ब्लॉक के ग्राम पंचायत अम्बाड़ी की जहां 2006 से टूटी हुई पुलिया आज 15 साल बाद भी जर्जर हालत में खड़ी हुई है। यहां कभी भी हो सकता है इस पर कोई बड़ा हादसा। ग्रामीण इस टूटी पुलिया पर बिजली के पोल रखकर अपनी जान जोखिम में डालकर निकलते हैं। जरा सी चूक हुई तो कभी भी हो सकता है कोई बड़ा हादसा। यहां से बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं निकलती हैं। यह रास्ता अम्बाड़ी गांव को भोपाल-विदिशा हाईवे से जोड़ता है। और लगभग 20 गांव के ग्रामीण इस रास्ते से होकर शहर के लिएं प्रतिदिन जाते हैं। स्कूल के बच्चों को भी जान जोखिम में डालना पड़ता है या फिर कीचड़ भरे दूसरे रास्ते से निकल कर जाना पड़ता है। एक तरफ सरकार स्कूल चलो अभियान चला रही है। अब सवाल यह उठता है की स्कूल तक पहुंचने वाले रास्ते इतने बेकार पड़े हुए हैं कि कहीं तो पुल टूटा पड़ा है तो कहीं कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। बच्चे हाथ में चप्पल लेकर निकलते हैं। मगर प्रशासन तो मूकदर्शक बना बैठा है। ग्राम में आने के लिए दो रास्ते हैं। दोनों बरसात के मौसम में जोखिम भरे एक में पुल टूटा पड़ा है तो दूसरा घुटनों तक कीचड़ से भरा है।सांची विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो विधायक और सांसदों के बड़े-बड़े नाम है। मगर ग्रामीणों की परेशानी को सुनने कोई नहीं आता। ग्रामीणों के कई बार शिकायत के बाद भी आज तक इन सड़कों के लिए प्रशासन ने कोई हल नहीं निकाला है। अब देखने वाली बात यह है कि आखिर कब तक ग्रामीणों को इन बिजली के खंबों के सहारे युही ही टूटी हुई पुलिया से निकलना पड़ेगा। और जोखिम भरे रास्तों से इन्हें निजात मिल पाती है या फिर यह यूं ही अपनी जान जोखिम में डालकर निकलते रहेंगे।

पुलिया टूटने के कारण 3 किलोमीटर घूमकर जाने को मजबूर हैं ग्रामीण--
सांची विधानसभा के ग्राम अम्बाडी में 2006 में तेज बारिश के बहाव में टूटी पुलिया आज 15 साल बाद भी नहीं बन पाई है ग्रामीणों ने बिजली के खंभे रखकर अपनी जान जोखिम में डालकर इस पुलिया को पार करते है। बारिश के समय यहां से निकलना और भी खतरनाक हो जाता है जिससे ग्रामीणों को आवागमन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण इस रास्ते से होकर विदिशा और भोपाल के लिए जाते हैं। मगर पुलिया टूटने के कारण लगभग 3 किलोमीटर घूम कर जाने को मजबूर हैं। वहीं जिम्मेदार का कहना है कि इस रास्ते पर विवाद चल रहा है। विवाद सुलझने के बाद ही पुलिया बन पाएगी। अब सवाल उठता है कि 15 साल से इस पुलिया का बनने का इंतजार कर रहा है। ग्रामीण अब कब तक इंतजार करेंगे। अपनी जान जोखिम में डालकर कब तक ग्रामीण निकलेंगे। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार गिरदावर पटवारी ने इस रास्ते को नपती कर के किसी निजी भूमि में निकाल दिया है। कुछ दिन तक जिसको राजस्व निरीक्षक ने  कब्जा दिया था उक्त व्यक्ति ने कांटे डालकर रास्ता भी बंद कर दिया था। मगर ग्रामीणों के कहने से उक्त व्यक्ति ने रास्ता खोल दिया है। अब सवाल इस बात का उठता है कि बरसों पुराने रास्ता जो सरकारी था अब निजी कैसे हो गया है।

इनका कहना है
आपके द्वारा ये मामला मेरे संज्ञान में लाया गया है। में शीघ्र ही इस मामले की जांच कराकर पता करवाती हूं कि इस पुलिया का निर्माण क्यों रुका हुआ है।
नियति साहू, तहसीलदार सांची

 

टूटी हुई पुलिया के दोनों और बिजली के खंबे रखे हैं। इन खंबों के सहारे प्रतिदिन निकलना पड़ता है। जिससे लगभग बीस गांव के ग्रामीण परेशान हैं। हमेशा खतरा बना रहता है। इसी जगह पहले भी कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। बारिश के समय मे पूरा रास्ता बंद हो जाता है। इस समस्या के संबंध में कई बार शिकायत भी की जा चुकी है। लेकिन अभी तक इसका निदान नही हुआ है। प्रशासन भी किसी बड़े हादसे के इंतज़ार में बैठा हैं। जबकि यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
कमल मीणा, स्थानीय ग्रामीण अम्बाड़ी

इस मार्ग से बीस गाँव के ग्रामीण जुड़े हैं। जिन्हें प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालकर इस टूटी हुई पुलिया से बिजली खंबों के सहारे निकलना पड़ता है। जिससे कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। और ऐसा लगता है कि प्रशासन एक दो बच्चों के मरने का इंतेज़ार कर रहा है। और उसके बाद ही इस टूटी हुई पुलिया का निर्माण हो सकेगा।
योगेश कुमार, स्थानीय ग्रामीण


15 सालों से यह पुलिया जर्जर अवस्था में है। हमें प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालकर इन बिजली के खंबों के सहारे यहाँ से निकलना पड़ता है। कई बार शिकायत करी है। लेकिन हमारी समस्या का समाधान न तो शासन ने किया और न प्रशासन ने।
अरविंद,  स्थानीय ग्रामीण


 

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Bhopal

4/lgrid/Bhopal
----------------NEWS Footer-------------------------------- --------------------------------CSS-------------------------- -----------------------------------------------------------------