
भोपाल । प्रदेश की राजधानी भोपाल में हैंडलूम का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। बेशक शहर में हथकरघा की कोई बड़ी इकाई नहीं है, बावजूद यहां दीपावली पर करोड़ों का कारोबार होता है। कोरोना काल में गत वर्ष जहां हैंडलूम क्षेत्र में उदासीनता थी, वहीं इस बार खरीदारी का आंकड़ा गत वर्ष से 50 प्रतिशत अधिक हो गया है। शहर में यूं तो देश के तमाम शहरों में बनने वाले हथकरघा के उत्पाद आते हैं लेकिन फिर भी सबसे ज्यादा महेश्वर, चंदेरी, मंदसौर, साहरनपुर, पडाना, सोसर, बनारस के उत्पाद आते हैं और खरीदे भी जाते हैं। भोपाल एक ऐसा शहर है जो आवागमन के लिए सुगम होने के कारण देशभर का हथकरघा उत्पाद यहां आ जाता है और यहां के लोगों की पसंद में हथकरघा प्राथमिक होने के कारण उसकी खासी बिक्री भी हो जाती है। शहर में बनारसी, कांजीवरम, क्रेप, शिफान, पैठणी, भागलपुरी सिल्क जैसे हथकरघा से तैयार कपड़ों की भी खूब मांग है। त्यौहारी मौसम में यह मांग कई गुना बढ़ जाती है। हथकरघा से बने केवल कपड़े ही नहीं बल्कि दरी, चादर, पर्दे आदि का भी उम्दा कारोबार है।
50 प्रतिशत से अधिक की बढ़त
कोरोना के कारण शहर में गत वर्ष बेशक हथकरघा उत्पादों की बिक्री का स्तर उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा लेकिन इस बार यह आंकड़ा बढ़ा है। इस बार दीपावाली पर 50 प्रतिशत से अधिक की बढ़त नजर आ रही है। दीपावली के 8-10 दिन पहले से ही हथकरघा उत्पादों की ग्राहकी में खासा उछाल आने लग जाता है।
इस दौर में और भी बढ़ा महत्व
इस बार गत वर्ष से 50 प्रतिशत से अधिक की बढ़त हथकरघा के बाजार में है। बात अगर दुकानों की करें तो वहां से चंदेरी, माहश्वरी की खरीदारी ज्यादा की जाती है जबकि हथकरघा मेलों में से बनारसी को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। महामारी के दौर में लोगों ने प्रकृति को और भी महत्व दिया जिसके चलते हथकरघा को और भी बेहतर प्रतिसाद मिल रहा है।

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