नई दिल्ली । यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले ही बसपा के विधायक घटते जा रहे हैं। बसपा के कई विधायकों ने एक-एक अपनी नेत्री और पूूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती का साथ छोड़ दिया तो कुछ को खुद पार्टी बाहर कर चुकी है। विधायकों के पार्टी छोड़ने का सिलसिला जारी है। अब तक असलम अली चौधरी, मो. मुजतबा सिद्दीकी, मो. असलम राइनी , सुषमा पटेल, डा. हरगोविंद भार्गव और हाकिम लाल बिंद ने बसपा को छोड़ कर सपा का दामन थाम लिया है। वंदना सिंह ने बसपा छोड़ चुकी हैं। अब गुड्डू जमाली ने पार्टी छोड़ दी है। पहले लालजी वर्मा और रामअचल राजभर ने निष्कासन के बाद सपाई हो गए। मुख्तार अंसारी को मायावती ने टिकट देने से मना कर दिया है। बसपा अब किसे नेता विधानमंडल बनाती है यह देखने वाली बात होगी। बसपा के पास उसकी सूची के मुताबिक तो 15 विधायक हैं, लेकिन इसमें से नौ विधायक अब उसके पास नहीं हैं। गुड्डू जमाली ने बसपा प्रमुख को पत्र में लिखा कि मुझे जो भी जिम्मेदारियां मिली उसे निष्ठा से निभाया। भारी मन से कहना पड़ रहा है कि आपके साथ 21 नवंबर को हुई मीटिंग में महसूस किया कि आप निष्ठा-ईमानदारी पर भी संतुष्ट नहीं हैं। कई दिन विचार के बाद मुझे लगा कि मैं पार्टी पर बोझ हूं, ऐसी सूरत में इस्तीफा दे देना ही बेहतर है।  मामले में स्थिति साफ की है। बसपा की ओर से कहा गया है कि लड़की के मामले में मदद न करने पर जमाली ने पार्टी छोड़ी है। बसपा यूपी स्टेट कार्यालय ने कहा कि गुड्डू की कंपनी में एक लड़की काम करती थी, जिसने गंभीर आरोप लगाते हुए केस किया है। विवेचना जारी है। गुड्डू मुझ पर (यानी मायावती) मुख्यमंत्री से कहकर मामला रफादफा कराने का दबाव बना रहे थे। इसके लिए हाल में फिर मिले भी थे। मैंने कहा कि बेहतर होगा कि विवेचना में न्याय नहीं मिलता है तो कोर्ट में जाए, ऐसा न कर केस खत्म कराने का दबाव बना रहे थे। मदद न करने पर इस्तीफा दिया है।