गाजे-बाजे के साथ निकाली बेटों ने माँ की अंतिम यात्रा, नम आंखों से नगरवासियों ने दी विदाई
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गाजे-बाजे के साथ निकाली बेटों ने माँ की अंतिम यात्रा, नम आंखों से नगरवासियों ने दी विदाई

 

गाजे-बाजे के साथ निकाली बेटों ने माँ की अंतिम यात्रा, नम आंखों से नगरवासियों ने दी विदाई

बेटों ने भष्म को खाद के रूप में उपयोग कर छायादार पौधे रोप अंतिम दिवस को बनाया अस्मरणीय


(श्रीमती मथुरा देवी गुप्ता)

मण्डीदीप - शहनाई के माध्यम से  गाजे-बाजे और नम आंखों के साथ श्रीमती मथुरा देवी गुप्ता के अंतिम संस्कार में उमड़े  जन सैलाब ने नम आंखों से दी अंतिम बिदाई   पटेल नगर में निवासरत गुप्ता परिवार में बुधवार को यह अद्भुत नजारा दिखा। अंतिम विदाई देने के लिए जब लोग उमड़े तो सब शोक में डूबे दिखे। सभी धर्मों के लोगों का उनकी अंतिम यात्रा में पहुंचना समाज  के प्रति उनके सहज, सरल और  मिलनसार स्वाभाव का जीता जागता उदाहरण प्रस्तुत करता है मिलनसार, सामाजिक कार्यों में रुचि,मृदुल स्वभावी, तथा सामाजिक कार्यों में रुचि रखने वाली श्रीमती  गुप्ता नगर में सहज ही सभी की चहेती बन गयीं थीं। श्रीमती गुप्ता जरूरतमंद लोगों  के लिए सदैव तत्पर रहतीं थीं अपनी दीर्घायु में उन्होंने समाज के लिए कई अप्रत्यक्ष अनुपम कार्य किये साधारण ग्रहणी के रूप में उनका नगर आगमन और सिंगाजी आटा-चक्की के रूप में एक सामान्य व्यवसाय प्रारम्भ कर,आज नगर का सर्वाधिक प्रतिष्ठान बनाने के पीछे उनकी निरंतरता, कर्मठता, लगनशीलता किसी व्यवसायी के लिए भी एक उदाहरण है पति के लिए एक आदर्श पत्नी ,बेटे-बेटियों के लिए एक आदर्श माँ, बहुओं के लिए एक आदर्श सास,पोते- पोतियों के लिए एक आदर्श दादी-नानी और समाज के लिए एक आदर्श नागरिक के रूप में निश्चित ही नगरमें वे  एक अनुपम उदहारण प्रस्तुत करके विदा हुईं हैं नगर की मातृ-शक्ति को  अपने जीवन में उनके आदर्शों को स्थापित करने की प्रेरणा लेनी चाहिए अपने जीवन काल में श्रीमती गुप्ता ने पति श्री मोतीलाल गुप्ता जो की सिंगाजी महाराज के अन्यन्य भक्त के रूप में प्रतिष्ठित हैं को  सत्मार्ग पर चलते रहने हेतु हमेशा प्रोत्साहित और पल-पल  सहयोग किया जिसके फलस्वरूप श्री गुप्ता परिवार के संरक्षक के दायित्व का बखूबी निर्वाहन कर रहे हैं  वहीं श्रीमती गुप्ता ने अपने ज्येष्ठ पुत्र श्री प्रदोष गुप्ता को राजनितिक पार्टी में शामिल होने की प्रेरणा और सहयोग देकर समाज सेवा में तल्लीन कराया ,तो वहीं अपने  मंझले पुत्र  राजकुमार गुप्ता को राष्ट्र सेवा हेतु नौसेना में भर्ती और सेवानिवृति बाद पुलिस विभाग में सबइंस्पेक्टर (सीआईडी ) के दायित्व का मार्ग दिखाकर देश और समाज की सुरक्षा का जिम्मा दिलाना उनके अंदर छुपे राष्ट्र बक्त को उजागर करता है अपने सबसे छोटे बेटे कैलाश गुप्ता को भी राजनीतिक क्षेत्र में जाने की मूक सहमति देकर समाज की सेवा के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में एक सफल व्यवसायी के रूप में प्रतिस्थापित कराकर माँ के रूप में एक महती भूमिका का निर्वहन करना अपने आप में समाज के लिए एक अनुपम उदाहरण है जो चिरस्मरणीय रहेगा अपनी बेटियों के प्रति भी उनका उतना ही प्यार, दुलार और सहयोग रहा जितना बेटों के लिए पोते-पोतियों को भी हमेशा सहयोग और दुलार उनके कुशल पारिवारिक प्रबंधन और परिवार को एक सूत्र में बांधे रखने की निपूर्ण कला को दर्शाता है  

बेटों ने भष्म को खाद के रूप में उपयोग कर, रोपे छायादार पौधे

 

अंतिम संस्कार के दूसरे दिन अश्थी संग्रहण कर,सतलापुर जोड़ स्थित शान्तिधाम प्रांगड़ में छायादार पौधे रोपकर बेटों ने माँ के शरीर की भष्म को खाद के रूप में मिलाकर उनकी यादों को अस्मरणीय बना दिया



तीनो भाईयों ने रौपे गए पौधों का बड़े होने तक संरक्षण का संकल्प भी लिया जिससे वृक्ष सकुशल बड़े हो जावें और प्रकृति संरक्षण में महती भूमिका देने में सहायक हों  




साथ ही उन्होंने नगरवासियों से आह्वान किया की  वे भी अपनों के अंतिम संस्कार के अवसरों पर प्रकृति के वातावरण को शुद्ध बनाये रखने और अपनों की यादों को जीवित रखने पौध रोपण का अनुपम और अनूठा प्रयोग अवश्य करें जिससे आने वाली पीढ़ी को सतत प्रेरणा मिलती रहे   



 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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