• इसका इस्तेमाल विमानों को आपात स्थिति में उतारने के लिए होगा
  • 19 माह में पूरा हुआ ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड का निर्माण 

नई दिल्ली । केन्द्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने राजस्थान के बाड़मेर के गंधव-बाखासर खंड में राष्ट्रीय राजमार्ग-925 पर बने ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड’ (ईएलएफ) का उद्घाटन कर राष्ट्र को समर्पित किया। भारतीय वायुसेना के विमान में दोनों मंत्रियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर कृत्रिम आपातकालीन लैंडिग की। एनएच-925 भारत का पहला राष्ट्रीय राजमार्ग है,इसका इस्तेमाल वायुसेना के विमानों को आपात स्थिति में उतारने के लिए किया जाएगा। आधिकारिक बयान के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने वायु सेना के लिए आपातकालीन स्थिति में विमान उतारने के वास्ते एनएच-925ए के तीन किलोमीटर के हिस्से पर आपातकालीन पट्टी का निर्माण किया है।इसके पहले अक्टूबर 2017 में, वायुसेना के लड़ाकू एवं परिवहन विमानों ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर मॉक लैंडिंग की थी ताकि दिखाया जा सके कि इसतरह के राजमार्गों का उपयोग वायुसेना के विमानों द्वारा आपात स्थिति में उतरने के लिए होता है। लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे, जोकि एक राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं है,यूपी सरकार के तहत आता है। यह पट्टी भारतमाला परियोजना के तहत गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नव विकसित ‘टू-लेन पेव्ड शोल्डर’ का हिस्सा है,इसकी कुल लंबाई 196.97 किलोमीटर और लागत 765.52 करोड़ रुपये है। ‘पेव्ड शोल्डर’ उस भाग को कहा जाता है, जो राजमार्ग के उस हिस्से के पास हो जहां से वाहन नियमित रूप से गुजरते हैं। ऐसा पहली बार हुआ कि भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग का इस्तेमाल आपात स्थिति में विमान उतारने के लिए होगा। परियोजना में आपातकालीन लैंडिंग पट्टी के अलावा कुंदनपुरा, सिंघानिया और बाखासर गांवों में वायुसेना/भारतीय सेना की आवश्यकताओं के अनुसार तीन हेलीपैड (प्रत्येक का आकार 100 x 30 मीटर) का निर्माण किया गया है, जो पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सेना और सुरक्षा नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण का आधार होगा। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत शामिल हुए।बता दें कि सी-130जे सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान से राजनाथ सिंह, गडकरी और भदौरिया को लेकर जालोर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर आपातकालीन फील्ड लैंड किया। विमान के लैंड होते ही मौजूद लोगों ने उनका स्वागत किया।ईएलएफ का निर्माण 19 महीने के अंदर पूरा हुआ है। इसका निर्माण कार्य जुलाई 2019 में शुरू होकर जनवरी 2021 में पूरा हो गया। आईएएफ और एनएचएआई की देखरेख में 'जीएचवी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने ईएलएफ निर्माण किया है।

भारतीय वायुसेना के विमान से 'टचडाउन किया 
पाकिस्तानी सीमा से लगे राजस्थान के जालौर में आपात स्थिति में थल सेना के ट्रांसपोर्ट और वायुसेना के विमानों को उतारने के लिए 3 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी बनकर तैयार हो गई है।रनवे पर सुखोई लड़ाकू विमान ने फ्लाइपास किया, साथ ही जगुआर और एयरफोर्स के अन्य विमान भी इस दौरान यहां से उड़न भरी ।


सामरिक रूप से महत्वपूर्ण
युद्ध के दौरान दुश्मन देश अक्सर देश के महत्वपूर्ण एयरबेस को टारगेट करके उन्हें तबाह करने की कोशिश में रहते हैं ताकि फाइटर जेट लैंड और टेकऑफ न कर सकें। करीब 50 साल पहले पाकिस्तान से युद्ध जैसी आपात परिस्थितियों में वायुसेना के भुज एयरबेस पर जो हुआ, अब वैसी नौबत नहीं आए।इसकारण इस प्रोजेक्ट की जरूरत थी। तब 8 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के जेट्स ने वायुसेना के भुज एयरबेस पर बम दागे थे। इससे एयरबेस के रनवे तबाह हो गया था। युद्ध के दौरान वहां सारे हवाई ऑपरेशन में रुक गए थे। भविष्य में इसतरह के हालात पैदा न हों इसके लिए यह प्रोजेक्ट जरूरी था।  


राष्ट्रीय राजमार्गों पर 12 रोड स्ट्रीप बनाने की योजना
ये एक बड़ी परियोजना का हिस्सा है, जिसमें 12 राष्ट्रीय राजमार्गों पर हवाई पट्टियों का विकास शामिल है। परियोजना का उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों के दौरान बचाव कार्यों के साथ-साथ आपातकालीन लैंडिंग की सुविधा प्रदान करना है।इसके पहले वायुसेना के लड़ाकू विमान आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर उतर चुके हैं। 2017 में आईएएफ ने 35,000 किलोग्राम सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान के साथ 'आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के एक हिस्से पर टच एंड गो लैंडिंग' की थी। आईएएफ ने अपने मिराज 2000 और सुखोई-30एमकेआई फाइटर जेट्स को यमुना एक्सप्रेसवे और लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर भी उतारा था।