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भोपाल : राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि दिव्यांगता को कमजोरी नहीं ताकत बनाएँ। कोई भी शारीरिक कमजोरी कभी भी आत्म-विश्वास से बड़ी नहीं होती है। उन्होंने प्राचीन और आधुनिक भारत के दिव्यांगजनों की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि अष्टावक्र गीता के रचेयता मुनि अष्टावक्र का शरीर 8 स्थानों से टेढ़ा था। टोक्यों पैरालम्पिक खेल में दिव्यांगजन देश के लिए 19 पदक लेकर आए है। जिससे यह साबित होता है कि हौसलों के सामने कोई बाधा नहीं होती। उन्होंने समाज में दिव्यांगता के बारे में जागरूकता और संवेदनशीलता को बढ़ाने की जरूरत बताई है।
राज्यपाल श्री पटेल, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्म-दिवस पर आज स्पर्श परिसर में स्थित दृष्टि, श्रवण बाधितार्थ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शाहजहानांबाद में आयोजित दिव्यांगजन उपकरण वितरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि दिव्यांगजन उनको मिले उपकरणों को मात्र साधन समझे। उन्हें साध्य नहीं बनाएँ। दिव्यांगजनों को अपनी प्रतिभा, हौसले और लगन को साध्य बनाना चाहिए। ऐसी कोई मंजिल नहीं जिस तक दिव्यांगजन नहीं पहुंच सकते। ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जिसे दिव्यांग पा नहीं सकते। आवश्यकता है कि जो विशेष प्रतिभा उनके अंदर है। उसे पहचानें, जो छिपी हुई ताकत है, उसे जगाएँ और सामने लाएँ।
राज्यपाल ने कहा है कि समाज को दिव्यांग भाई-बहनों और बच्चों की समस्याओं को समझना होगा। परिवार, समाज और हम सब की जिम्मेदारी है कि उनकी प्रतिभा को पहचानें और उसे निखारने में मदद करें। उनकी ऊर्जा को नयी दिशा दें।
कार्यक्रम में दिव्यांग छात्र-छात्राओं द्वारा आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों दी गई। श्रवण बाधित बालिका खलीमा अंसारी ने वंदेमातरम् पर एकल नृत्य की प्रस्तुति दी। दृष्टिबाधित छात्रा महिमा माली ने 'एक प्यार का नगमा है' गीत और छात्र आदित्य भैरव ने 'गणेश वंदना' की प्रस्तुति दी। मानसिक मंद छात्र-छात्राओं जतिन, इन्द्रेश, तनु, कुमकुम और देवराज ने देश भक्ति के गीतों पर सामूहिक नृत्य का कार्यक्रम पेश किया। आभार प्रदर्शन प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण श्री प्रतीक हजेला ने किया।
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