कृष्णपाल भारके उदयपुरा।
ग्रामीण क्षेत्रों.में सट्टा का आतंक इस कदर छाया हुआ है कि सुबह से शाम तक सटोरिये व उनका गिरोह उदयपुरा में आ जाते हैं। समूची नगरी यह जानती है कि यहां सट्टा खेलने वाले व खिलाने वाले लोग है उसके बाद पुलिस को जाने क्यों कोई सबूत नही मिल पा रहा है यह बात गले नही उतर रही. प्रतिदिन लाखों के गेम का वारा न्यारा कर रहे नामी सटोरिया व इनके गुर्गे तक पुलिस के हाथ नही पहुंचने से इनके हौसले बुलंद है.
कहने को तो पुलिस सट्टे के खिलाफ कार्यवाहियां कर रही है परंतु मुख्य सटोरियों तक हाथ नही पहुंचना कहीं न कहीं पुलिस व सटोरिये की मधुरता को प्रकट कर रहा है. समूचे जिले में सबसे तेज उदयपुरा नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में सट्टा का व्यवसाय काफी हाईटेक अंदाज में चल रहा है ।
पुलिस उच्चाधिकारियों के तमाम आदेश व निदेर्शों की धज्जियां उड़ाते उदयपुरा का दबंग सटोरिया का बेखौफ सट्टा जैसे खेल को जिंदा किये हुए है. इसे या तो स्थानीय पुलिस का संरक्षण प्राप्त है या फिर कोई और शक्ति इसके पीछे काम कर रही है. जो भी हो इन दिनों उदयपुरा सहित ग्रामीण इलाकों के लोग इस मायाजाल रूपी खेल में बुरी तरह से फंस रहे है. 1 में 80 पाने के चक्कर में अपना सब कुछ दाव में लगा रहे है। इसीलिए बिना सबूत सटोरिये को पकडऩा होगा. ताकि स्कूली बच्चे व गरीब वर्ग इस सट्टे जैसे कृत्य में न फसें.
जानकारी के मुताबिक नगर
हाईटेक अंदाज में चलता
सट्टे की पट्टी व मोबाईल दोनो से गेम लिए जा रहे है. उदयपुरा नगर में सट्टे का आतंक बुरी तरह लोगों पर हावी है. स्थानीय पुलिस उच्चाधिकारियों के आदेश व निदेर्शों का पालन भलिभांति कर सट्टे के खिलाफ हल्की फुल्की कार्यवाहियां कर रही है. परंतु मुख्य लोगों तक हाथ न पहुंचना कहीं न कहीं नगर की स्थानीय पुलिस व इन सटोरियों के आंतरिक संबंधों को बयां कर रहा है.उदयपुरा नगर में बेखौफ चल रहे सट्टे के खेल में बुरी तरह फंस चुके छात्र व बेरोजगार गरीब तबके के लोग अब सड़कों में आने के कगार पर हैं यदि समय रहते नगर से सट्टे के खेल को समाप्त नही कराया गया। तो छोटे बच्चे भी इस माया जाल में फस जाएंगे।
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