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जबलपुर। यूं तो लॉकडाउन हर क्षेत्र को प्रभावित किया है. लेकिन परीवहन और टैवल सेक्टर की कमर लॉकडाउन ने बुरी तरह तोड़ दी है. आईएसबीटी से विभिन्न २४ रूटों के लिए प्रारंभ होने वाली ६५० बसों में से अब केवल १० प्रतिशत बसों का ही संचालन हो रहा है, लेकिन उन्हे भी पर्याप्त सवारियां नहीं मिल पा रही हैं। बस ऑपरेटर एसोसिएशन के सूत्रों की मानें तो अब बहुतेरे मोटर मालिक, सप्ताह में तीन दिन ही बसों को किसी भी रूट पर भेज रहे हैं ताकि घाटा भी न लगे और डीजल तथा बस में चलने वाले स्टॉफ का खर्चा भी निकलता रहे. अब बस ऑपरेटर्स की निगाहें १ जून से खुलने वाले लाक डाउन पर आकर टिक गई हैं। आपरेटर्स को यह उम्मीद है कि लाक डाउन खुलने के बाद फिर से जन जीवन सामान्य हो जाएगा और ४५ दिनों से घरों में कैद सवारियां व व्यवसायी फिर से एक बार बसों की तरफ रुख करेंगे और उनकी रोजी रोटी फिर से चल पड़ेगी। वर्तमान में मोटर मालिकों को इस व्यवसाय में दो तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। पहला यह है कि लॉक डाउन की वजह से बसों को सवारियां न के बराबर मिल रही हैं और मिल भी रहीं हैं तो एक जिले से दूसरे जिले में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। बताया जाता है कि डिंडोरी सहित ऐसे बहुत से जिले हैं जहां के डीएम द्वारा जबलपुर से आ रही बसों को अपने जिलों में प्रवेश दिए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है जिसके चलते जिन बसों को सवारियां मिल भी रहीं हैं वे भी बस चलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
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