रिसर्च में खुलासा: 2 घंटे तक हवा में रहता है कोरोनावायरस, अब 2 मीटर नहीं 3 मीटर की दूरी है जरूरी
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने कहर बरपा रखा है। ऐसे में एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि अगर कोई संक्रमित व्यक्ति किसी एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है तो पहले स्थान पर वायरस 2 घंटे तक हवा में ही रहता है। इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी चंडीगढ़, सेंट्रल इंस्ट्रुमंटेशन साइंटिफिक ऑर्गेनाइजेशन चंडीगढ़, सीसीएमबी हैदराबाद और सीएसआईआर की लैब की जॉइंट रिसर्च में यह सामने आया है कि सरकार ने संक्रमण से बचने के लिए जो 2 मीटर की दूरी तय की है, वह नाकाफी है।
3 मीटर की दूरी अब है जरूरी
रिसर्च के आधार पर डॉक्टरों ने रहवासी और ऑफिस में बदलाव की सिफारिश की है। रिसर्च में कहा गया है कि संक्रमित व्यक्ति के कमरे से जाने के बाद भी 2 घंटे तक हवा में और 2 मीटर से अधिक दूरी पर वायरस पार्टिकल पाया गया है। अब संक्रमण से बचना है तो इसके लिए 3 मीटर तक की दूरी जरूरी है। साथ सभी रिसर्च टीमों ने वेंटिलेशन की नई गाइडलाइंस भी तैयार की है।
हवा में वायरस के कैसे आते हैं ड्रॉपलेट्स
मालूम हो कि हवा में वायरस के ड्रॉपलेट्स बोलने, गाने, खांसने या छींकने से आती है। रिसर्च में खुलासा हुआ है कि इसके प्रसार के लिए कई चीजे जिम्मेदार हैं जैसे पार्टिकल रेस्पिरेट्री एक्टिवीटी का प्रकार, हवा का प्लो, दिशा, तापमान और पार्टिकल का साइज। क्योंकि पार्टिकल साइज अगर बड़े हैं तो यह जमीन पर गिर जाते हैं, लेकिन अगर वह छोटा है तो पार्टिकल हवा में ही रहते हैं और कई घंटों तक रह सकते हैं। ऐसे में कोई व्यक्ति अगर उसके संपर्क में आता है तो वह भी संक्रमित हो जाता है।
कमरे को सील करके न रखें
वैज्ञानिकों ने इसके लिए अलग-अलग कीटाणुनाशक सॉल्यूशन का उपयोग करने की सिफारिश भी की है। ताकि रेजिडेंशियल और ऑफिस बिल्डिंग में एयर क्वालिटी अच्छी बनी रहे। यानि ऑक्सीजन का स्तर अच्छा रहे और हवा साफ रहे। वैज्ञानिकों ने घरों में एयर चेंज करने के लिए एग्जॉस्ट फैन लागने के सुझाव दिए हैं। साथ ही उनका कहना है कि जो लोग एसी के लिए पूरे कमरे को सील करके रखते हैं, वह ठीक नहीं है। घर में अगर खिड़की है तो इसे खोल दें ताकि कमरे में हवा आ- जा सके
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