पार्षद दावेदारों की नजरें वार्ड की निकलने वाली लॉटरी पर टिकी,
संभावित दावेदार दो _ तीन वार्डों में तलाश रहे विकल्प
कृष्णा पंडित मंडीदीप। बुधवार को शहर सरकार के मुखिया का पद सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित होने के बाद अब पार्षद पद के दावेदारों की नजरें वार्ड आरक्षण पर टिक गई है । वार्डों का आरक्षण ना हो पाने के कारण पार्षद पद पर चुनाव लड़ने वाले इच्छुक उम्मीदवार यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि वह किस वार्ड से मैदान में उतरेंगे । ऐसे में आम लोगों के साथ ही पार्षद पद का चुनाव लड़ने वाले लोगों के सामने भी जब तक वार्ड पार्षदों की लॉटरी नहीं निकलती तब तक साफ नहीं हो पाएगा की आरक्षण के दायरे में कौन-कौन से वार्ड आते हैं। उधर जिला अधिकारी भी नहीं बता पा रहे हैं कि बालों का आरक्षण कब तक होगा इस कारण दावेदारों में संशय की की स्थिति बनी हुई है। निकाय सीमा में 26 वार्ड आते हैं जिनमें से 50 प्रतिशत यानी 13 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे इसके बाद बचे हुए वार्डों में से एससी एसटी ओबीसी और सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण होगा। वार्डों आरक्षण की तस्वीर साफ होने के बाद ही भाजपा और कांग्रेस पार्टी के नेताओं के साथ ही निर्दलीय नेता अपनी दावेदारी जता सकेंगे। लिहाजा पार्षद पद के दावेदार शीघ्र वार्ड आरक्षण होने की राह तांक रहे हैं। ताकि लोगों से मेल मुलाकात बढ़ाई जा सके। हालांकि चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदार नेता लंबे समय से सक्रिय बने हुए हैं आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए ही वे दशहरा दीपावली और छठ पर्व पर अधिक सक्रिय रहे। अब हर गली, मोहल्ले, चौराहों पर दावेदारों द्वारा आरक्षण पर ही चर्चा की जा रही है। कुछ नेता अपने मन मुताबिक राजनीतिक गणित बैठाने में जुटे हुए हैं।
निकाय चुनाव की तारीख अब जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, नेताओं की बेचैनी बढ़ती जा रही है। वही वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ने की मंशा पाले दावेदार दो से तीन विकल्प खोज रहे हैं। इधर भाजपा और कांग्रेस के संगठन अभी चुपचाप बैठकर स्थिति का आकलन कर रहे हैं।
दावेदारों की भीड़ अभी नेताओं को उतना परेशान नहीं कर रही है, जितना करना चाहिए। हर दावेदार अभी आरक्षण का इंतजार कर रहा है। उनका कहना है कि फिलहाल मेहनत करने से कोई लाभ नहीं है, क्योंकि अगर वार्ड आरक्षण में स्थिति बदल गई तो मेहनत का कोई प्रतिफल नहीं मिलेगा। इधर सबसे ज्यादा खास बात यह है कि नपा अध्यक्ष का पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित होने से यहां पर चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।
इनका कहना है
अभी मंडीदीप निकाय का कार्यकाल बचा हुआ है इस कारण हमारे पास वहां के वार्ड आरक्षण को लेकर निर्वाचन आयोग से किसी तरह के निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। इस संबंध में आयोग से जानकारी लेकर ही बता पाऊंगा।
उमाशंकर भार्गव, कलेक्टर रायसेन
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