जिम्मेदारों की अनदेखी से परेशान हो रहा अन्नदाता,
लैब टेक्नीशियन और ऑपरेटर सहित अन्य स्टाफ की नियुक्ति ना किए जाने से 61 लाख की लागत से बनी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में 2 साल से लटका है ताला,
- लोकार्पण के 11 महीने बाद भी लैब की सुविधा ना मिलने से
- 30 हजार किसानों को नहीं मिल पा रही भूमि उर्वरा की जानकारी,
- सात करोड़ आय वाली कृषि मंडी में नहीं मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला
- बिना जांच कराए ही बोवनी करने को मजबूर हो रहे किसान,
कृष्णा पंडित मंडीदीप। एक ओर जहां सरकार मिट्टी की सेहत सुधारने हर खेत का स्वाइल हेल्थ कार्ड बनाने योजना चला रही है। वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग के आला अधिकारियों की अनदेखी के चलते ब्लाक में किसानों को मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला की सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसका कारण प्रयोगशाला के लिए टेक्नीशियन और ऑपरेटर सहित अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति ना किया जाना बताया जा रहा है। जिससे 61 लाख की लागत से बनी लैब धूल खा रही है। इतना ही नहीं इसी वर्ष 26 जनवरी को इसका लोकार्पण भी किया जा चुका है लेकिन इसके बाद से भी भवन में ताला लटका हुआ है। ये हाल औबेदुल्लागंज की उस कृषि उपज मंडी के हैं,जिसकी सालाना आय सात करोड़ रु है। सरकार कृषि पर पांच फीसदी कृषि सेस भी वसूल रही है। इसके बाद भी क्षेत्र के किसानों को इस प्रयोगशाला की सुविधा नहीं मिल पा रही है। जिससे क्षेत्र के तीस हजार से अधिक किसानों को मिट्टी की जांच कराने के लिए न सिर्फ परेशान होना पड़ रहा है,बल्कि कृषि भूमि उर्वरा की जानकारी न मिलने से उन्हें खेती में नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा इस मामले में जमकर कोताही बरती जा रही है। जिसका नुकसान किसानों को भुगतना पड़ रहा है। जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते उन्हें मिट्टी परीक्षण कराने भोपाल और होशंगाबाद के चक्कर काटना बेहद खर्चीला साबित हो रहा है। परंतु जिम्मेदारों को किसानों की इस परेशानी से कोई सरोकार नहीं है।
मालूम है कि 7 साल पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ए ग्रेड वाली कृषि मंडियों में मिट्टी जांच लैब खोलने की घोषणा की थी। तब मंडी बोर्ड द्वारा औबेदुल्लागंज की इस ऐ श्रेणी की कृषि उपज मंडी का चयन कर कृषि कार्यालय के पास भवन बना दिया गया जिस पर करीब 35 लाख रुपए की राशि खर्च की गई। इसके बाद 2 महीने पहले यहां 26 लाख की सूक्ष्म पोषक तत्व निकालने वाली मशीन( एएएस) लगाई जा चुकी है। लेकिन अभी यहां स्टाफ की नियुक्ति होना बाकी है। किसानों की महत्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति करने में उच्च स्तर पर जमकर लेत लाली बरती जा रही है।
यह हो रहा नुकसान:
सीएम की घोषणा के 7 साल बाद भी किसानों को लैब की सुविधा न मिलने से उनमें निराशा है। इसके अभाव में वे अपने खेतों की मिट्टी की न तो जांच करवा पा रहे हैं न उसमें आई पोषक तत्तों की कमी की जानकारी ही ले पा रहे हैं। साथ ही मिट्टी की मांग के मुताबिक खाद का उपयोग भी नहीं कर पा रहे हैं। वही ब्लॉक मुख्यालय पर केबल नमूने लेने की सुविधा ही है।
क्षेत्र की मिट्टी में इन तत्वों की है कमी-
कृषि विकास अधिकारी डीएस भदौरिया बताते हैं कि यहां कि मिट्टी में जिंक,पोटाश,बोरान एवं न्यूट्रान समेत अन्य पोषक तत्वों की कमी है। वे बताते हैं कि किसानों को फसलों की अदला बदली के साथ खाद में पोटाश का अधिक प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।
इनकी होना है नियुक्ति:
जानकारी के अनुसार लैब संचालित करने के लिए शासन द्वारा एक सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी 2 पद, लेखापाल एक, टेक्नीशियन एक , ऑपरेटर एक और एक चपरासी सहित कुल 10 अधिकारी कर्मचारी नियुक्त किए जाने हैं।
क्या कहते हैं किसान:
मिट्टी परीक्षण के बाद फसल बोते तो नहीं होता सोयाबीन में नुकसान:
किसान अपनी मनमर्जी से परपंरागत ढंग से खेती करने को मजबूर है। उसे पता ही नहीं कि उसके खेत की मिट्टी के लिए कौन सी फसल उपयोगी और उत्पादन बढ़ा कर देगी। हाल ही में सोयाबीन व उड़द की फसल का जो हश्र हुआ है वह किसी से छिपा नहीं है। यदि किसान ने मिट्टी का परीक्षण कर फसल बोई होती तो वह रोग लगने पर सही उपचार भी कर सकता था। राकेश लौवंशी, किसान सतलापुर
किसान लंबे समय से मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला की मांग कर रहे हैं। जिससे वे अपने खेतों की मिट्टी की जांच करवा कर उसमें आई पोषक तत्तों की कमी की जानकारी तो ले ही सकेंगे साथ ही मिट्टी की मांग के अनुसार खाद का उपयोग भी कर सकेंगे। गोपाल चौरसिया, किसान आशापुरी
मंहगी होने से नहीं कराते जांच
यहां लैब न होने से किसानों को भोपाल या रायसेन स्थित प्रयोगशाला में मिट्टी परीक्षण के लिए जाना पड़ता है जो बेहद खर्चीली होने के कारण कई किसान तो इसका परीक्षण ही नहीं करा पाते हैं। शुभम नागर, दाहोद
इन तत्वों की होना है जांच
अंदाज से ही मिला रहे खाद:
सतलापुर के किसान प्रभु लौवंशी, एंव पिपलिया लोरका के विक्रम पाल आदि किसानों ने कहा कि गेहूं की फसल बौने से पहले खेतों की मिट्टी की जांच कराना चाहते थे लेकिन प्रयोगशाला नहीं होने के कारण वे मिट्टी की जांच नहीं करा पाए। ऐसे में उन्हें बिना जांच कराए ही बोवनी करनी पड़ी।इन किसानों का कहना है कि प्रयोगशाला होती तो अभी खेत खाली होने से मिट्टी का परीक्षण होकर समय पर रिपोर्ट मिलने से रवी सीजन की बोवनी के पहले कृषि विभाग की जरूरी सलाह भी मिलती।मगर विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के कारण लोकार्पण के11 महीने बाद भी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला का लाभ नहीं मिल पा रहा है।इस तरह किसानों ने पहले तो बिना जांच कराए ही बोवनी की और अब मिट्टी की मांग की जगह अंदाज से ही खाद मिला रहे हैं।
लैब के लिए शासन स्तर पर पूरे प्रदेश में नियुक्तियां की जानी है। नियुक्ति होने के बाद ही लैब प्रारंभ की जा सकेगी।
एनपी सुमन, उपसंचालक कृषि विभाग रायसेनं
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