राजदेव सोसाइटी जमीन विवाद:राजदेव कॉलोनी की 6.5 एकड़ जमीन मामले में मध्य प्रदेश राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल ने आदेश रिजर्व किया; 27 जनवरी को आएगा फैसला
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राजदेव सोसाइटी जमीन विवाद:राजदेव कॉलोनी की 6.5 एकड़ जमीन मामले में मध्य प्रदेश राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल ने आदेश रिजर्व किया; 27 जनवरी को आएगा फैसला

 राजदेव सोसाइटी जमीन विवाद:राजदेव कॉलोनी की 6.5 एकड़ जमीन मामले में मध्य प्रदेश राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल ने आदेश रिजर्व किया; 27 जनवरी को आएगा फैसला

भोपाल39 मिनट पहले
सुलमेान ने राजदेव कॉलोनी में RSS के ऑफिस के सामने की इसी जमीन का कब्जा जबरन सोसाइटी को दिए जाने के आरोप लगाए हैं। - फाइल फोटो - Dainik Bhaskar
सुलमेान ने राजदेव कॉलोनी में RSS के ऑफिस के सामने की इसी जमीन का कब्जा जबरन सोसाइटी को दिए जाने के आरोप लगाए हैं। - फाइल फोटो
  • आज सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की बहस सुनी गई
  • हनुमानगंज थाने क्षेत्र की राजदेव कॉलोनी की भूमि को लेकर उत्पन्न विवाद में शनिवार को मध्यप्रदेश राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल ने सभी पक्षों की बहस सुनी। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने आदेश रिजर्व कर लिया है। अब इसे 27 जनवरी को सुनाया जाएगा। इसी में RSS कार्यालय के सामने की 37 एकड़ जमीन भी शामिल है।

मोहम्मद सुलेमान और मोहम्मद इमरान ने इस क्षेत्र की लगभग 6.51 एकड़ भूमि को कब्रस्तान के आधार पर वक्फ प्रॉपर्टी होने तथा उस पर बनी रहवासी कॉलोनीयों और बहुमंजिला भवन व मकानों को तोड़ने के आदेश की घोषणा करने का दावा वर्ष 2015 में पेश किया था।

पुलिस और प्रशासन पर जबरन कब्जा दिलाने का आरोप

इस मामले में अगस्त 2018 में स्टे का आवेदन ट्रिब्यूनल के द्वारा खारिज किया जा चुका है, लेकिन फिर से यथा स्थिति के लिए एक आवेदन गत 18 जनवरी को पेश किया गया। इसमें आरोप लगाया गया है कि जिला प्रशासन और पुलिस ने जबरदस्ती कब्रस्तान की जमीन पर निजी व्यक्ति को कब्जा करने में सहायता प्रदान की है। शनिवार 23 जनवरी को मामले में राज्य शासन, नगर निगम, और निजी पक्षकारों ने अपने-अपने जवाब पेश करके बहस पूरी की।

वकीलों ने यह पक्ष रखा

याचिका कर्ताओं की ओर से वकील रफी जुबेरी ने जमीन को वक्फ प्रॉपर्टी होना बताते हुए आरोप लगाया कि किसी भी कोर्ट से विवादित भूमि के खसरा नंबर को वक्फ प्रॉपर्टी के तौर पर हटाए जाने के संबंध में कोई फैसला नहीं हुआ है। लेकिन सरकार की मिली भगत से बलपूर्वक मौके पर निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, जिस पर यथा स्थिति के आदेश पारित किया जाना आवश्यक है।

सरकार की ओर से वकील पीएन सिंह राजपूत और दीपेश जोशी ने आवेदन का विरोध करते हुए उसे अवैधानिक बताया। उनका तर्क था कि जब अगस्त 2018 में याचिका कर्ता का विवादित भूमि पर निर्माण आदि कार्य को रोकने के लिए स्टे का आवेदन निरस्त हो चुका है, तो फिर से उसी आधार पर स्टे के आवेदन पर सुनवाई ट्रिब्यूनल में करने का कोई औचित्य नहीं है।

विशेषकर तब जबकि याचिका कर्ताओं की तरफ से अगस्त 2018 के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका पेश की जा चुकी है, लेकिन वहां से भी उन्हें किसी तरह की कोई राहत नहीं मिली है। नगर निगम के वकील एचएल जाने भी उपरोक्त तर्क का समर्थन करते हुए ट्रिब्यूनल से आवेदन को खारिज करने का निवेदन किया।

निजी पक्षकार की ओर से वकील जगदीश छावानी ने आवेदन की वैधानिकता पर प्रश्न उठाते हुए ट्रिब्यूनल का ध्यान आकर्षित किया कि आवेदन में यह कहीं भी वर्णित नहीं है कि कौन सी जमीन पर, कितनी जमीन पर और किस दिशा में कौन सी जगह पर कब्जा सौंपने अथवा निर्माण कार्य करने की कार्यवाही की गई है।

छावानी का यह भी कहना था कि मूल याचिका में पहले से ही याचिका कर्ताओं की स्वीकारोक्ति है कि जमीन पर लोगों के मकान, रहवासी कॉलोनी, निर्माण और कब्जे पहले से ही है। याचिका कर्ताओं ने स्थल के जो फोटो पेश किए गए हैं, उनसे सिद्ध नहीं होता है जिला और पुलिस प्रशासन की मिली भगत से जबरदस्ती अथवा अवैध तौर पर कब्जा एवं निर्माण कार्य किया जा रहा है।

वरिष्ठ अधिवक्ता बंसीलाल इसरानी ने विवादित भूमि के संबंध में उनके पक्षकार के पक्ष में कोर्ट के फैसलों और आवश्यक परमिशन के साथ निर्माण कार्य होने के दस्तावेज पहले से ही कोर्ट के रिकॉर्ड पर उपलब्ध होने की ओर ट्रिब्यूनल का ध्यान आकर्षित किया। उनका तर्क था कि ट्रिब्यूनल ने पहले ही याचिकाकर्ताओं के प्रकरण को प्रथम दृष्टया नहीं मानकर उनके स्टे के आवेदन को खारिज किया है और निजी लोगों की संपत्तियां मौके पर उनके पक्ष में दस्तावेज होने के आधार पर कब्जे में है।

सभी की बहस सुनने के बाद ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारी ने आदेश के लिए 27 जनवरी की तिथि नियत कर दी। शनिवार को वक्त ट्रिब्यूनल में प्रकरण की सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन व पुलिस की ओर से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। किसी भी व्यक्ति को बिना पहचान के अंदर जाने नहीं दिया जा रहा था।

वकील पर हमला तक हो चुका

इससे पहले शुक्रवार को प्रकरण से संबंधित वकील जगदीश छावानी को रास्ते में रोक कर चार युवकों ने जान से मारने और प्रकरण में पैरवी नहीं करने के लिए धमकाया था। वकील छावानी और वकील बंसीलाल इसरानी को अलग से सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई गई है। इसी सिलसिले में जिला अभि भाषक संघ भोपाल की कार्यकारिणी ने निंदा प्रस्ताव पास करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर वकील को धमकाने वाले आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार करने की मांग की है और सोमवार को वकीलों के प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर न्यायालय के समक्ष प्रदर्शन करने की घोषणा भी की है।

Source-https://www.bhaskar.com/local/mp/bhopal/news/bhopal-kabadkhana-land-dispute-case-madhya-pradesh-state-waqf-tribunal-reserves-order-to-be-heard-on-27-january-128154352.html

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