मुरैना कांड के बाद जागे अफसर..:सोम डिस्टलरीज के खुले में बने 20 स्प्रिट और रिसीवर टैंक सील; 2011 में ही बन गए थे, 2015 में जुर्माना करके फिर भूल गए
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मुरैना कांड के बाद जागे अफसर..:सोम डिस्टलरीज के खुले में बने 20 स्प्रिट और रिसीवर टैंक सील; 2011 में ही बन गए थे, 2015 में जुर्माना करके फिर भूल गए

 मुरैना कांड के बाद जागे अफसर..:सोम डिस्टलरीज के खुले में बने 20 स्प्रिट और रिसीवर टैंक सील;  2011 में ही बन गए थे, 2015 में जुर्माना करके फिर भूल गए

भोपालएक घंटा पहले
आबकारी विभाग ने रायसेन के सेहतगंज स्थित सोम डिस्टलरीज प्लांट के नियम विरूद्ध  खुले आसमान के नीचे बने 20 स्प्रिट व रिसीवर टेंक सील कर दिए हैं। - Dainik Bhaskar
आबकारी विभाग ने रायसेन के सेहतगंज स्थित सोम डिस्टलरीज प्लांट के नियम विरूद्ध खुले आसमान के नीचे बने 20 स्प्रिट व रिसीवर टेंक सील कर दिए हैं।
  • 2015 में कार्रवाई की औपचारिकता कर सिर्फ 1 लाख का जुर्माना किया था, जब सरकार एक्शन मोड में आई तो सील किया गया
  • एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ कि मुरैना कांड में जहरीली शराब बनाने वालों तक डिस्टलरी से पहुंचा था ओवर प्रूफ अल्कोहल
  • आबकारी विभाग ने शराब बनाने वाली कंपनी सोम डिस्टलरीज पर बड़ी कार्रवाई की है। भोपाल संभाग के उड़नदस्ता ने शुक्रवार देर रात रायसेन के सेहतगंज स्थित प्लांट के 20 स्प्रिट व रिसीवर टेंक सील कर दिए हैं। आरोप है कि ये टैंक ओपन एरिया में बने हैं, जबकि नियम टैंक कवर्ड कैंपस के अंदर ही में स्थापित करने का है। इससे पहले एसआईटी की जांच में खुलासा हो चुका था कि मुरैना कांड में जहरीली शराब बनाने वालों तक ओवर प्रूफ अल्कोहल डिस्टलरी से पहुंचा था। इसके बाद ही आबकारी विभाग के अफसर नींद से जागे। वजह थी- सोम डिस्टलरीज के प्लांट में स्प्रिट का स्टॉक खुले एरिया में बने टैंकों में किया गया था। यानी यहां से स्प्रिट की कालाबाजारी आसानी से होने की आशंका है।

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एक दिन पहले ही बयान दिया था कि शराब माफिया ने ब्यूरोक्रेसी को जकड़ रखा है। हमारी पड़ताल में जो तथ्य सामने आए, उससे उमा भारती के आरोपों में बल मिलना स्वभाविक है। क्योंकि शराब बनाने वाली कंपनी के प्लांट जिस प्लांट में स्प्रिट के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया, वह 10 साल पहले होना थी। प्लांट में नियम विरूद्ध टैंक बनाकर स्प्रिट उपयोग 2011 में शुरू हो गया था। अफसरों को 4 साल बाद इसका (जब इसे कागजी कार्रवाई में लिया गया) पता चला। बावजूद इसके अफसर 5 साल तक आंख मूंदे रहे। यदि मुरैना शराब कांड नहीं होता तो शायद नींद से जागते भी नहीं।

शराब के अवैध धंधों में सरकारी महकमा कैसे अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल रहता है, सोम डिस्टलरीज में की गई कार्रवाई की भास्कर की पड़ताल में सामने आया..

ऐसे की गई अनदेखी

सोम डिस्टलरीज ने सेहतगंज स्थित प्लांट में 21 अप्रैल को 2011 में प्लांट का अपग्रेडेशन करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन आबकारी विभाग के रिकार्ड में यह आवदेन 8 अगस्त 2015 को संभागीय उड़नदस्ता भोपाल और 20 अगस्त 2015 को आबकारी आयुक्त कार्यालय ग्वालियर को मिलना दर्ज है। यानी पूरे चार साल बाद। अब तक प्लांट में पुराने के स्थान पर नए 19 टैंक बिना अनुमति के केवल बन तैयार ही नहीं हुए, बल्कि उसमें स्प्रिट का स्टॉक भी किया जाने लगा।

बिना निरीक्षण दे दी सहमति

इसके बाद तत्कालीन आबकारी आयुक्त राकेश श्रीवास्तव ने सोम डिस्टलरी के आवेदन पर 14 सितंबर 2015 को संभागीय उड़नदस्ता भोपाल के उपायुक्त से अभिमत मांगा। इस अफसर ने प्लांट का निरीक्षण किए बिना ही बता दिया कि निर्माण गुणवत्तापूर्ण और पर्यावरण सुरक्षा के अनुरूप हुआ है। इसलिए अनुमति दी जा सकती है।

1 लाख रुपए जुर्माने की औपचारिकता

इसके बाद आवकारी आयुक्त ने 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाकर सशर्त अनुमति प्रदान कर दी गई। यह अपने बचाव में किया गया फैसला था। शर्त यह रख दी कि जो टैंक बिना अनुमति के बनाए गए हैं, इन्हें खाली किया जाए और फिर इसमें स्प्रिट भरा जाए। यह अनुमति 28 दिसंबर 2015 को दी गई थी।

फिर किया शर्त का उल्लंघन, पुराने के स्थान पर नए प्लांट बना लिए

सोम डस्टलरीज ने इस शर्त का खुले आम उल्लंघन किया गया। जिस पर अफसरों आंखे बंद कर ली। प्लांट में पुराने प्लांट के स्थान पर सुरक्षा को ताक पर रखकर खुले में नया प्लांट स्थापित कर दिया। यह सब आबकारी अधिकारियों की आंखों के सामने हुआ, क्योंकि प्लांट में बनने वाली शराब केवल सरकार ही खरीदती है, इसलिए यहां 24 घंटे आबकारी अफसर की डयूटी रहती है।

5 साल बाद फिर दिया नोटिस

आबकारी विभाग ने 5 साल तक कोई कार्रवाई नहीं की। आबकारी आयुक्त ने 16 दिसंबर 2020 को नोटिस देकर नियमों के अनुरूप निर्माण किया जाने पर कंपनी से जवाब मांगा। कंपनी की तरफ से जवाब देने के बजाय सुझाव दे दिया कि नियमों में संशोधन कर कवर्ड एरिया के बजाय खुले में बनाने का प्रावधान किया जाए।

10 जनवरी को मुरैना कांड के बाद 13 को हरकत में आए अफसर

मुरैना में 10 जनवरी को जहरीली शराब पीने से 26 मौतें हो गई थी। एसआईटी जांच में यह खुलासा हुआ कि शराब की अवैध फैक्टरी में ओवर प्रूफ अल्कोहल (स्प्रिट) किसी डिस्टलरी से पहुंचा था। इस बीच में आनन फानन में आबकारी विभाग 13 जनवरी को हरकत में आया। भोपाल से एक दल प्लांट का निरीक्षण करने गया, जिसने रिपोर्ट में कहा कि प्लांट में 20 स्प्रिट व रिसीवर टैंक नियम विरूद्ध बनाए गए हैं।

19 जनवरी को दिया नोटिस, 22 को किया गया सील

निरीक्षण की रिपोर्ट मिलने के बाद आबकारी आयुक्त ने 19 जनवरी को एक नोटिस सोम डिस्टलरी को भेजा। जिसमें कहा गया कि नियम विरूद्ध बनाए गए प्लांट से स्प्रिट का उपयोग प्रतिबंधित किए जाने की कार्रवाई 22 जनवरी को की जाएगी। इसके बाद देर रात 11 स्प्रिट व 9 रिसीवर टैंक को सील करने की कार्रवाई की गई।

(आबकारी विभाग और सोम डिस्टलरीज लिमिटेड के बीच हुए पत्राचार के सभी दस्तावेज भास्कर के पास उपलब्ध हैं)

Source-https://www.bhaskar.com/local/mp/news/bay-20-spirit-and-receiver-tank-seal-in-the-open-of-mon-distilleries-were-built-only-in-2011-again-forgotten-by-penalty-in-2015-128154334.html

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