ब्लाक की इकलौती गायनोलाजिस्ट नें दिया स्तीफा
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ब्लाक की इकलौती गायनोलाजिस्ट नें दिया स्तीफा

पहले से ही स्त्री रोग विशेषज्ञ की कमी से जूझ रहे सरकारी अस्पतालों में बिगड़ेगी स्थिति

मंडीदीप से केशव सुनील की रिपोर्ट

रायसेन जिले के औद्योगिक शहर मंडीदीप स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ ब्लॉक की एकमात्र स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तरला शिल्पी ने गुरुवार को अपना त्यागपत्र देते हुए सरकारी नौकरी को अलविदा कह दिया। डॉ शिल्पी ने अपना त्यागपत्र केंद्र प्रभारी डॉ बीएस मैना को सौंपा। सीएमएचओ के नाम लिखे गए त्यागपत्र में डॉ शिल्पी ने स्वेच्छा से नौकरी छोड़ने की बात कही है। उनके इस कदम से एक और जहां शहर  सहित इस केंद्र से जुड़े  64 गांव की गर्भवती महिलाओं के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। वहीं स्त्री रोग विशेषज्ञ ना होने से गर्भवतियों की जांच और प्रसव कार्य बाधित होने की संभावनाओं के चलते प्रबंधन के हाथ पैर फूल गए हैं। इधर स्त्री रोग विशेषज्ञ की सेवाएं ना मिल पाने के कारण गर्भवती महिलाओं को निजी नर्सिंग होम में महंगी जांच और डिलीवरी कराने को मजबूर होना पड़ेगा। फिलहाल विभागीय अधिकारियों ने नई व्यवस्था बनाने के कोई प्रबंध नहीं किए हैं।

बता दें कि यह वही डॉक्टर शिल्पी है जो गर्भवती महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के लिए जानी जाती है। इस मामले को लेकर उनके खिलाफ लगातार शिकायते की जाती रही हैं | वर्तमान में डॉ शिल्पी के व्यवहार में कुछ परिवर्तन दिखाई दिया था लेकिन गुरुवार को उन्होंने नौकरी छोड़ने का निर्णय लेते हुए अपना इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के पीछे अधिक वर्कलोड और मानसिक दबाब होना बताया जा रहा है। इस संबंध में जब डॉ शिल्पी से उनके मोबाइल नंबर पर इसकी वजह जाननी चाही तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।

ब्लॉक की तीन लाख की आबादी पर एक भी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं

भगवान भरोसे चल रहा प्रसूति कार्य

डिलीवरी कराने का जिम्मा एमबीबीएस महिला डॉक्टरों के भरोसे

ब्लॉक में सबसे बड़ी किल्लत स्त्री रोग विशेषज्ञ गायनोलॉजिस्ट डॉक्टरों की है। स्थिति यह है कि क्षेत्र की करीब डेढ़ लाख महिलाओं की सेहत सुधारने और प्रसव कराने का जिम्मा सिर्फ एक गायनोलॉजिस्ट डॉ शिल्पी के कंधों पर था । अब उनके नौकरी छोड़ने के बाद यह जवाबदारी एमबीबीएस महिला चिकित्सक डॉ अमृता जीवने और आयुष डॉक्टर बबीता कोरी संभालेगी। इसके साथ ही दोनों लेडी डॉक्टर को ओपीडी, एमएलसी, पोस्टमार्टम और इमरजेंसी ड्यूटी का भी जिम्मा संभालना होगा। इस तरह काम की अधिकता के चलते क्षेत्र की लगभग डेढ़ लाख की आबादी को इन महिला चिकित्सकों की सेवाओं का समुचित लाभ नहीं मिल पाएगा। इससे मरीजों को निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराने को मजबूर होना पड़ेगा।

डॉक्टरों के 22 पद स्वीकृत 11 खाली

ब्लॉक में लंबे समय से खाली पड़े हैं 11 डॉक्टर 13 एएनएम और 21 एमपीडब्ल्यू के पद

ब्लॉक की आबादी करीब तीन लाख से अधिक है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्यसेवाएं उपलब्ध कराने के लिए पूरे विकासखंड में 3 प्राथमिक और तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं । जबकि 33 उप स्वास्थ्य केंद्र खोले गए हैं। जहां स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सेहतमंद रखने के लिए 22 डॉक्टर, 35 एएनएम और इतने ही एमपीडब्ल्यू कार्यकर्ताओं के पद स्वीकृत किए हैं। जो आबादी के लिहाज से पहले से ही काफी कम है। इतने पर भी 11 डॉक्टर, 13 एएनएम तथा 21 एमपीडब्ल्यू के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति इतनी दयनीय है कि 33 में से 9 उप स्वास्थ्य केंद्रों पर तो डॉक्टरों की उपलब्धता नहीं हो पाने के कारण लंबे समय से ताले लटके हुए हैं। जिससे यहां मरीजों को निजी चिकित्सकों के पास उपचार कराना पड़ता है।

आगे क्या - क्षेत्र की एकमात्र गायनोलॉजिस्ट के नौकरी छोड़ने से बड़ा संकट खड़ा हो गया है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग नई व्यवस्था बनाने की तैयारी में जुट गया है। बीएमओ डॉ अरविंद सिंह चौहान ने बताया कि डॉ शिल्पी के त्यागपत्र देने की जानकारी मिली है। उनसे बातचीत कर समस्या का समाधान निकालेंगे। यदि वह नहीं मानती है तो किसी प्राइवेट स्त्री रोग विशेषज्ञ की सेवाएं लेने के लिए अनुबंध कर व्यवस्था बनाई जाएगी। ताकि गर्भवती महिलाओं को बेहतर जांच और प्रसव की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।

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