ऑनलाइन शिक्षा को केवल सहयोगी मानकर एक सार्थक एकात्म प्रणाली को तैयार करने पर बल दिया जाना चाहिए। ऑनलाइन शिक्षा परम्परागत शिक्षा प्रणाली का विकल्प कदापि नहीं हो सकती है। यह बात भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष एवं चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.जितेन्द्र भारद्वाज ने कही। उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षण मंडल का मत है कि शिक्षा की परम्परागत प्रणाली ही भारत की पहचान है।
आधुनिक शिक्षा तभी सुदृढ़ होगी जब वह शिक्षा की भारतीय परम्परा को आत्मसात करेगी। ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था केवल साधन मात्र है साधना नहीं। आत्मनिर्भर भारत के लिए शिक्षा में रूपांतरण अति आवश्यक है। उन्होंने बताया कि शिक्षक एवं विद्यार्थी में जब तक सीधा संवाद स्थापित नहीं होगा तब तक विद्यार्थी अपनी पढ़ाई तथा शिक्षक अपने द्वारा दी गई शिक्षा से संतुष्ट नहीं होगा। ऑनलाइन शिक्षा परम्परागत शिक्षा का विकल्प कतई नहीं है।
ऑनलाइन शिक्षा साधन हो सकती है परंतु साध्य नहीं। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा नीति 34 वर्षों बाद आई है जो 21वीं सदी के भारत को विश्व की प्रमुख शक्ति के रूप में उबारने में सहायक होगी। संकल्प सभा का संचालन एवं मार्गदर्शन भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सच्चिदानंद जोशी, राष्ट्रीय महामंत्री उमाशंकर पचौरी, अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर, सह संगठन मंत्री पी शंकरानंद द्वारा संयुक्त रूप से
किया गया।
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from KAPS Krishna Pandit
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