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राष्ट्रीय क्रिकेटर राजकुमार शारीरिक रूप से दिव्यांग है, लेकिन मानसिक रूप से मजबूत। इसलिए जब कोरोना में खेल बंद हुआ, नौकरी भी खत्म हुई तो बुजदिलों की तरह कोई निराशाजनक कदम उठाने के बजाए हिम्मत से काम लिया और रेहड़ी पर पतंग बेचने लगे। उनकी ही तरह अनिकेत के पास भी जब कोई काम नहीं बचा था, तो वह भी रेहड़ी पर फल बेचने लगे।
दिव्यांग खिलाड़ियों के इस हौंसले के मुरीद भारतीय दिव्यांग क्रिकेट संघ के साथ-साथ आस्ट्रेलिया की विश्व कप विजेता टीम के पूर्व कप्तान स्टीव वा भी हुए हैं। उन्होंने एसोसिएशन और आस्ट्रेलिया अपने मैनेजर हार्ले मेडकाफ की ओर मिलकर देश भर के 400 क्रिकेटर को अपना लिया है। उन्हें न केवल आर्थिक मदद दी जा रही हैं। यह सब तब है जब न तो हरियाणा सरकार की ओर से और ना ही केन्द्र सरकार की ओर से इन खिलाड़ियों को कुछ मिला है और ना ही विश्व का सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई की ओर से इन खिलाड़ियों के लिए कुछ निकला है।
विजेता खिलाड़ी भी शामिल
कोराेना में बेरोजगार हुए खिलाड़ियों में साधारण खिलाड़ी ही नहीं बल्कि वे खिलाड़ी भी शामिल है जिन्होंन इंग्लैड में देश को क्रिकेट विश्व कप दिलाया था और आज वे बेरोजगार है।
खिलाड़ियों तक पहुंचाई जाएगी मदद
पीसीसीएआई (फिजिकली चैलेंज्ड क्रिकेट एसो. ऑफ इंडिया) के सचिव रवि चौहान ने कहा कि प्रत्येक क्रिकेटर को 5-5 हजार की राशि दी जा रही है। जो ज्यादा जरुरतमंद है उन्हें 10 हजार भी दिए। सबसे ज्यादा राहत पाने वालों में हरियाणा एवं महाराष्ट्र के खिलाड़ी है। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद सिर्फ खिलाड़ियों के हौंसला को बनाए रखना है।
काफी खिलाड़ी मायूस थे इसलिए उठाया कदम
पीसीसीएआई सचिव ने बताया कि उनके संज्ञान में आ रहा था कि कोरोना में नौकरी जाने एवं खेल नहीं होन से पुरस्कार राशि नहीं मिल पाने के कारण काफी खिलाड़ी मायूस हो गए थे, उनके यहां घर चलाने के लिए कुछ भी नहीं था, ऐसे में कोई बड़ा कदम उठाने की आंशका हो रही थी। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई चाहे तो खिलाड़ियों का भला कर सकती है, उन्हें किसी अनुबंध सिस्टम में शामिल कर मासिक अथवा वार्षिक राशि वितरित कर सकती है, अन्य देशों में बाकायदा ऐसी व्यवस्था है।
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from KAPS Krishna Pandit
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