विवादों में फंसे रेवाड़ी के माउंटेनियर का अवाॅर्ड होल्ड, नरेंद्र बोले-आरोप लगाने वालों पर केस करूंगा
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विवादों में फंसे रेवाड़ी के माउंटेनियर का अवाॅर्ड होल्ड, नरेंद्र बोले-आरोप लगाने वालों पर केस करूंगा

साहसिक पुरस्कार के लिए चयनित होते ही एवरेस्ट फतह के झूठे दावे के आरोपों से घिरे रेवाड़ी के पर्वतारोही नरेंद्र सिंह का नाम सरकार ने अचानक अवाॅर्ड लिस्ट से हटा दिया। अवाॅर्ड होल्ड होने से शनिवार को बगैर सम्मान ही वापस लौटे नरेंद्र ने कहा कि आरोप लगाने वालों पर सोमवार को केस करूंगा। इधर, खेल मंत्रालय के साथ ही नेपाल के पर्यटन मंत्रालय ने भी जांच शुरू कर दी है। भास्कर ने नरेंद्र से तीखे सवाल किए। पढ़िए मुख्य अंश...

Q. आपका अवाॅर्ड रोक दिया गया, क्यों?
पर्वतारोही- अवाॅर्ड की घोषणा होते ही आरोप लगाने वाले सक्रिय हो गए। सरकार और कमेटी ने मेरा अवाॅर्ड होल्ड करने का जो निर्णय किया। मैं चाहता हूं कि मामले में निष्पक्षता से जांच हो।

Q. कौन चाहता है कि आपको अवाॅर्ड न मिले?
पर्वतारोही- मिनिस्ट्री में मुझसे पूछा गया कि आपके टीम लीडर नावा कुमार पोकन आरोप लगा रहे हैं कि आप एवरेस्ट फतह नहीं कर पाए। मैंने वहां भी बताया कि उन्हें दुख है कि उनको अवाॅर्ड नहीं मिला। हरियाणा से भी 4-5 लोग हैं, जो लेग पुलिंग कर रहे हैं। सबके नाम कोर्ट में बताएंगे।

Q. आप आराेपों पर जवाब क्यों नहीं दे रहे थे?
पर्वतारोही- मेरा मानना है आरोप लगाने वालों से सोशल मीडिया पर बहस के बजाय लीगल कार्रवाई करेंगे तो बेहतर जवाब होगा।

Q. टीम लीडर के साथ लाकवा शेरपा ने भी दावा कि आप एवरेस्ट पर असफल थे?
पर्वतारोही- लाकवा शेरपा मेरा शेरपा नहीं था। यदि ये साबित हो कि वो मेरा शेरपा था तो सरकार मुझे धाराएं लगाकर जेल में डाल दें, हमें ऐतराज नहीं, वो मेरे शेरपा का नाम दावा मक्कालू या दावा मलाऊ था।

Q. कहा जा रहा है कि टॉप पर पहुंचने की आपकी फोटो मोर्फ्ड है?
पर्वतारोही- ये केस तो हम सोशल मीडिया पर आरोप लगाने वालों पर डाल रहे हैं, वो लोग खुद फोटो एडिट कर रहे हैं। कभी दाहीने घुटने का रंग बदल देते हैं, कभी फोटो शॉप से मास्क हटा देते हैं। वहां वकील पूछेगा कि सर्टिफिकेट मैच करो, फोटो का इश्यू पुलिस देखेगी।

Q. एवरेस्ट फतह की सर्टिफिकेट पर सवाल उठ रहे हैं?
A. अगर ऐसा है तो आरोप लगाने वाले नेपाल की मिनिस्ट्री पर केस डालें। मेरे पास सरकारी सर्टिफिकेट है, बड़े ऑफिसर्स के हस्ताक्षर हैं। पहले उनसे फाइट करें, बाद में मेरे पास आएं।

Q. कह रहे हैं आप असफल हुए तो रोये थे?
पर्वतारोही- एवरेस्ट फतेह के लिए 2 अप्रैल 2016 को हम बेस कैंप रवाना हुए। वेदर अच्छा होता है तो हमें 8-9 दिन मिलते हैं, तो समिट के लिए निकले गए। टीम में मैं, नावा कुमार पोकन टीम लीडर व शीमा गोस्वामी थीं। 20 मई 2016 को किया हमने समिट किया। उस रात हम कैंप-2 में ठहरे। मेरे रोने की बात झूठी हैं।

मैंने नरेंद्र को ऑक्सीजन देकर कैंप लौटने में मदद की थी: लकपा शेरपा

सात बार एवरेस्ट फतह करने वाले पर्वतारोही और बचाव दल के सदस्य लकपा शेरपा ने नरेंद्र यादव के एवरेस्ट फतह करने के दावे को गलत करार दिया है। लकपा कहते हैं, ‘पर्वतारोहण कालक्रम हिमालयन डेटाबेस’ के अनुसार 20 मई 2016 की सुबह एवरेस्ट के शिखर पर फूकन पहुंचे थे, जो इस पर्वतारोहण दल के लीडर थे। नरेंद्र उस समय हमारे दल को महिला पर्वतारोही के साथ दक्षिणी क्षेत्र की 8400 मीटर दूर ‘बालकनी’ में मिले थे और इनका ऑक्सीजन खत्म हो गया था। तब मैंने फूकन को सूचित किया और हमने यादव और महिला पर्वतारोही को अपनी ऑक्सीजन की बोतलें देकर कैंप-4 में लौटने में मदद की। मैं 200 प्रतिशत सुनिश्चित हूं कि वह आदमी नरेंद्र था। मैं ही नहीं, बहुत से लोग इस बात को जानते हैं।

उन्होंने कहा, ‘यादव व उनकी साथी पर्वतारोही सीमा गोस्वामी ऑक्सीजन खत्म हो जाने पर सांस लेने में भारी तकलीफ महसूस कर रहे थे। ये डिंगबोचे और लोबुचे के मध्य ट्रैकिंग इलाके में थे। दोनों का अपने गाइड के साथ संपर्क भी टूट चुका था। यादव शिखर पर पहुंचने के लिए रो रहे थे। तब हमारे बचाव दल ने उन्हें सांत्वना दी थी कि यदि जीवन रहा तो उन्हें आगे भी एवरेस्ट फतह करने के मौके मिलेंगे। मुझे आश्चर्य है कि उन्हें भारत का सर्वोच्च एडवेंचर सम्मान देने के लिए चुना गया।’



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पर्वतारोही नरेंद्र सिंह (फाइल फोटो)


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